राष्ट्रपति चुनाव: शिवसेना भी जायेगी द्रौपदी मूर्मु के साथ उद्धव ने किया समर्थन देने का ऐलान, जानिए किन-किन पार्टीयों ने किया हैं NDA के राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान।

महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल पुथल के बीच एक बङा सवाल था कि शिवसेना राष्ट्रपति चुनाव में किसे देंगी समर्थन, सरकार बदलने के बाद इस सवाल का जवाब थोङी साफ होती दिख रही थी पर मंगलवार शाम आते आते शिवसेना प्रमुख ने सवालों पर विराम लगाते हुए अपना समर्थन NDA समर्थित प्रत्याशी द्रौपदी मूर्मु को देने का ऐलान कर दिया।

क्या वजह रही समर्थन देने की

वर्तमान में शिवसेना के 16 सांसद हैं एवं जब उन सभी के द्वारा उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा गया एवं उसमें साफ तौर पर उन्होंने अपना समर्थन एनडीए प्रत्याशी को देने की बात कही,तब उद्धव ठाकरे हालात को देखते हुए इस पर राजी हो गए क्योंकि बीते दिनों अपनी पार्टी में अंदरुनी बगावती के दंश से परिचित थे एवं दूबारा उसे झेलनी की परिस्थिति में नहीं हैं शुरुआती दौर में जब मूर्मु का नाम NDA की उम्मीदवार के तौर पर आया था तो उन्होंने विपक्षी दल के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देने पर सहमति जताई थी। लेकिन जब एकनाथ शिंदे के बगावती तेवरों ने सत्ता के सिंहासन को हिला डाला और उद्धव सरकार अल्पमत में आ गई और सरकार गिर गई। वैसे स्थित उद्धव ठाकरे किसी प्रकार की बगावत भङे सुर को नहीं झेलना चाहतीं हैं एवं सांसदों के विचार पर मुहर लगाते हुए द्रौपदी मूर्मु को समर्थन देने के लिए तैयार हो गई हैं। हालांकि शिवसेना नेता संजय राउत ने बयान जारी कर कहा कि शिवसेना मुर्मू के नाम पर विचार कर रही है और फैसला 2-3 दिन में ले लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कहा कि मुर्मू को समर्थन देने का मतलब ये नहीं हैं कि हम लोग भाजपा का साथ दे रहे हैं। यह सब सांसदो के पत्र लिखने के बाद हुआ था।

आगामी 18 जुलाई को 10 बजे से 5 बजे तक भारत के नये राष्ट्रपति के लिए चुनाव होना तय हैं।


इसके लिए 56 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया हैं, लेकिन सबकी निगाहें दो दिग्गजों नामों पर टिकी हैं वह हैं द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा। इस रेस में एनडीए उम्मीदवार मुर्मू का जीतना लगभग तय माना जा रहा है।झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू सत्तारूढ़ एनडीए सरकार की उम्मीदवार हैं, जबकि पूर्व भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंह इस पद के लिए संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार हैं। कई राजनीतिक दल पहले ही पुष्टि कर चुके हैं कि वे किसे अपना समर्थन दे रहे हैं। हालांकि, कुछ का वोट अभी भी रहस्य बना हुआ है। आइए जानते हैं कौन सी पार्टियां द्रौपदी मुर्मू को अपना समर्थन दें रहीं हैं।

NDA समर्थित उम्मीदवार द्रौपदी मूर्मु एवं विपक्षी एकता के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा

1. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)
2. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू)
3.अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके)
4. बीजू जनता दल (बीजद)
5. बहुजन समाज पार्टी (बसपा)
6. युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी)
7. अपना दल सोनेलाल (एडीएस)
8. राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी)
9. असम गण परिषद (एजीपी)
10. पट्टाली मक्कल काची (पीएमके)
11. नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ)
12. नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)
13. जननायक जनता पार्टी (जेजेपी)
14. यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल)
15. मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ)
16. निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद)
17. नेशनलिस्ट प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपीपी)
18. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू)
19. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
20. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे)
21. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी)
22. सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम)
23. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम)
24. बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ)
25. राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएएसपी)
26. जन सेना पार्टी (जेएसपी)
27. अखिल भारतीय नमथु राजियम कांग्रेस (एआईएनआरसी)
28. हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी)
29. यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी)
30. पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ)
31. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी)
32. हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी)
33. कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए)
34. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया अठावले (आरपीआई-ए)
35. तमिल मनीला कांग्रेस मूपनार (टीएमसी-एम)
36. इंडिजिनियस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी)
37. पुरानी भारतम काची (पीबीके)
38. शिरोमणि अकाली दल (शिअद)
39. तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा)
40. शिवसेना

इन पार्टियों के अलावा कांग्रेस के साथ गठबंधन में झारखंड की सत्ता पर काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भी एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को अपना समर्थन दे सकती है। क्योंकि मुर्मू झारखंड राज्य की राज्यपाल भी रह चुकी हैं एवं आदिवासी समुदाय से आती हैं। हालांकि इसके मुर्मू के समर्थन में आने की संभावना है क्योंकि आदिवासी झारखंड की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यूपीए का हिस्सा रहे झामुमो पर दबाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार को हुई बैठक में यह फैसला वह नहीं कर पाई कि वह किसे समर्थन दे। अगर द्रौपदी मूर्मु यह चुनाव जीत जाती हैं तो वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी।

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