मुंबई. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने के करीब है। राज्य में मिले जनादेश पर शिवसेना ने शुक्रवार को पार्टी मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय लिखा। इसके मुताबिक, इस परिणाम से ‘सत्ताधीशों’ को सबक मिला है। अब सत्ता की धौंस नहीं चलेगी। गुरुवार को राज्य की 288 विधानसभा सीटों में भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 161 सीटें मिलीं। उसे 24 सीटों का नुकसान हुआ। वहीं, कांग्रेस-राकांपा गठबंधन 16 सीटों के फायदे के साथ 99 पर पहुंच गई।
महाराष्ट्र में 2014 की अपेक्षा कुछ अलग नतीजे आए हैं। 2014 में गठबंधन नहीं था। 2019 में गठबंधन के बावजूद सीटें कम हुईं। बहुमत मिला, लेकिन कांग्रेस-राकांपा मिलकर 100 सीटों तक पहुंच गईं। एक मजबूत विरोधी पक्ष के रूप में मतदाताओं ने उन्हें एक जिम्मेदारी सौंपी है। ये एक प्रकार से सत्ताधीशों को मिला सबक है। धौंस, दहशत और सत्ता की मस्ती से प्रभावित न होते हुए जनता ने जो मतदान किया, उसके लिए उसका अभिनंदन!
आंकड़ों का खेल संसदीय लोकतंत्र में चलता रहता है। ‘गठबंधन’ का आंकड़ा स्पष्ट बहुमत का है। शिवसेना और भाजपा को एक साथ करीब 160 का आंकड़ा आया है। महाराष्ट्र की जनता ने निश्चित करके ही ये नतीजे दिए हैं। फिर इसे महाजनादेश कहो या कुछ और, यह जनादेश है, महाजनादेश नहीं, इसे स्वीकार करना पड़ेगा।
कांग्रेस के पास कोई नेतृत्व नहीं था। इस कमजोर कांग्रेस को राज्य में 44 सीटें मिल गईं। भाजपा ने राकांपा में ऐसी सेंध लगाई कि पवार की पार्टी में कुछ बचेगा या नहीं, ऐसा माहौल बन गया था। लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा छलांग राष्ट्रवादी ने लगाई और 50 का आंकड़ा पार कर लिया है। भाजपा 122 से 102 पर आ गई है।