शिखा पाण्डेय,
जहां पूरे देश में ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी मोदी सरकार द्वारा लिए गए 500 व 1000 के नोट बंद करने के फैसले की प्रशंसा हो रही है, वहीं सहयोगी पार्टी शिवसेना उसमें भी अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करने में लगी है। शिवसेना का मानना है कि हमें ‘इंतजार करो और देखो’ का रूख अख्तियार करना चाहिए कि कालाधन के खिलाफ मोदी के ‘दूसरे’ सर्जिकल स्ट्राइक से नोटों के अवैध कारोबार पर कितनी लगाम लग सकेगी, क्योंकि पाकिस्तान के खिलाफ हुई पहली सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से सीमा पर से हमलों की अति हो गई है।
पार्टी ने कहा कि भ्रष्टाचार एक सोच है, जब तक यह सोच नहीं बदलेगी, काले धन की बीमारी पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाई जा सकेगी। शिवसेना ने इन नोटों को अमान्य करने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि सीमापार सेना के लक्षित हमले के बाद भी संघर्ष विराम उल्लंघन के मामले बढ़े हैं इसलिए अब ये तो समय बताएगा कि काले धन पर दूसरा लक्षित हमला कितना सफल रहता है।
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि, ‘‘ मोदी ने पिछले महीने पाकिस्तान के आतंकी शिविरों के खिलाफ अचानक लक्षित हमला किया था और अब उन्होंने कालाधन के खिलाफ लक्षित हमला किया है। दूसरे लक्षित हमले से लोगों में अफरातफरी फैल गई है, क्योंकि यह हमला भी अचानक था।’’
मुखपत्र में कहा गया है कि अतीत में भी अवैध कारोबार के प्रवाह को रोकने के प्रयास हुए लेकिन इसमें जो सवाल उठे, उनका आज तक कोई जवाब नहीं मिला। शिवसेना ने कहा कि सवाल विदेशों में जमा कालाधन को देश में वापस लाने और भारतीयों के खाते में 15 लाख रुपये जमा करने से था। विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के बारे में सरकार अभी तक कितनी सफल रही है? इसमें कहा गया है कि मोदी ने अपने तरीके से इसका जवाब दिया है और 500 रुपये एवं 1000 रुपये के नोटों को अमान्य कर दिया।