सौम्या केसरवानी
आमतौर पर मुख्यधारा से बाहर रहने वाले किन्नर समाज में भी नोट बैन को लेकर खासी बेचैनी देखने को मिल रही है। पहले ही दिन किन्नरों का कालाधन सामने आया है। एक दिन में ही बैंकों में किन्नरों ने करोड़ो रुपए जमा किये हैं।
कहते हैं कि ‘काला धन’ रखने वालों के बाद सबसे ज्यादा पैसा किन्नरों के पास ही होता है। चूँकि किन्नर अपने पैसे को लोगों के घरों में होने वाले शुभ कार्यों में न्यौछावर के रूप में पाते हैं, इसलिए इसे काला धन नहीं कहा जा सकता| हर एक किन्नर टोली के पास लाखों रुपये और गहने होते हैं, लेकिन किन्नर यह सब अपने घरों में खुद ही संभालकर रखते हैं।
देश के कोने-कोने में हर एक छोटे बड़े बैंक में किन्नरों की बढ़ती तादाद को देख कर सरकार को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है।
दरअसल, किन्नर कई सालों तक का पैसा और गहने बचा कर रखते हैं। ये लोग छोटे नोटों को 500 और 1000 में बदलवा लेते हैं, ताकि रखने में आसानी हो, लेकिन अब वही सारे नोट बदलने पड़ रहे हैं, जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।