शिखा पाण्डेय,
स्वतंत्रता दिवस के दिन कश्मीर में शहीद हुए सीआरपीएफ कमांडेंट प्रमोद कुमार का आज झारखंड के जामताड़ा अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी 6 साल की बेटी अरना ने उन्हें मुखाग्नि दी।
शहीद प्रमोद कुमार का शव आज झारखंड के जामताड़ा के मिहीजाम लाया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर उमड़े जनसैलाब ने पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए। उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
शहीद प्रमोद कुमार कल सुबह स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए थे। अपनी शहादत से ठीक एक घंटे पहले प्रमोद कुमार ने तिंरगा झंडा फहराया था। उन्होंने 8.29 बजे सुबह झंडा वंदन किया और उसके बाद अपने साथी जवानों को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा था,” आतंकवाद हमारे लिए बड़ी चुनौती है। यहां आतंकवाद के साथ पत्थरबाज भी हैं।” इसके बाद सुबह 9.29 बजे उनकी आतंकियों के साथ मुठभेड़ शुरू हो गयी।
संक्षिप्त परिचय-
शहीद कमांडेंट का जन्म बिहार के बख्तियारपुर में 15 अक्तूबर 1972 को हुआ था। उनका पालन पोषण जामताड़ा में हुआ, जहां उनके पिता रेलवे में सेवारत थे। उनका परिवार जामताड़ा में ही रहता है। उनके परिवार में उनके माता-पिता, पत्नी व 6 साल की एक बेटी है।
शहीद प्रमोद एक जनवरी 1998 को सीआरपीएफ में शामिल हुए और पिछले साल उन्हें उनके शानदार कार्यों के कारण कमांडेंट के रूप में प्रमोशन मिला था। वे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में भी तैनात रह चुके थे। वे प्रधानमंत्री की सुरक्षा करने वाले स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के सदस्य रह चुके थे।
गौरतलब है कि कल सुबह स्वतंत्रता दिवस पर आतंकिया ने श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में हमला किया। वहां सीआरपीएफ से उनकी मुठभेड़ हुई। सुरक्षाबलों की कार्रवाई में पांच आतंकवादी मारे गये, जिसमें दो को अकेले प्रमोद कुमार ने ढेर किया। सीआरपीएफ के अधिकारियों के मुताबिक आतंकी नौहाटा इलाके के जामा मस्जिद के आस-पास के एक घर में छिपे हुए थे। उसके बाद उन्हें आतंकी की गोली लग गयी और उन्हें बचाया नहीं जा सका। सूत्रों के मुताबिक इस हमले में लश्कर-ए -तैयबा का हाथ हो सकता है।