महाराष्ट्र: पिछले 22 सालों में 76000 किसानों ने की है खुदकुशी, क्या है इसकी वजह

एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com

 कल नासिक से किसानों की यात्रा शुरू हुई थी। जो आज महाराष्ट्र पहुँच कर अपने हक के लिए आन्दोलन कर रही है। इसी तरह साल 2017 में भी तमिलनाडू, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब और तेलांगाना समेत कई राज्यों के सैकड़ों किसान दिल्ली में पहुंचे थे।
महाराष्ट्र के किसान अपना पेट भरने के लिए कल से सड़क पर उतरे हैं। करीब 40 हजार किसान 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके मुंबई पहुंचे हैं। आंकड़ों पर जाएं तो देश में 9 करोड़ किसान परिवार हैं जिसमें 6.3 करोड़ परिवार कर्ज में डूबा हुआ है।
साल 1995 के बाद अभी तक लगभग 4 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इन सबमें महाराष्ट्र से केवल 76 हजार किसान खुदकुशी कर चुके हैं। खेती से जुड़ी सबसे ज्यादा समस्याएं इसी राज्य में है क्योंकि यहां पानी की कमी है।
वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्ज के बोझ से किसानों के आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2005 से 2015 के बीच 10 साल के आंकड़ो के मुताबिक देश में हर एक लाख की आबादी पर 1.4 और 1.8 किसान खुदखुशी कर रहे हैं।
किसानों की मांगों के अनुसार, वे चाहते हैं। कि बिना किसी शर्त के सभी किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाए, सरकार कृषि उत्पाद को डेढ़ गुना दाम देने का वादा करे। महाराष्ट्र के किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाये। किसानों का बिजली बिल भी माफ किया जाये, स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों व वनाधिकार कानून पर अमल किया जाए।
जानकारों की यदि मानें तो किसानों के कर्ज़ माफी के संबंध में जो सरकार ने आंकड़े पेश किए हैं उन्हें बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया है। इसके अलावा किसान जिन जिला स्तर के बैंकों से कर्ज की आस लगाती ज्यादातर उन बैंकों की हालत खराब है।जानकारों के अनुसार, किसानों की कर्ज़ माफी की प्रक्रिया इंटरनेट के जरिए की जा रही है, लेकिन ज्यादातर किसान डिजिटल नहीं जानते हैं। ऐसे में उन्हें इसका फायदा उठान में उन्हें परेशानी हो रही है।

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