सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
तीन तलाक के विरोध में याचिका दायर करने वाली सायरा बानो ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि, हमें उम्मीद थी कि एक न एक दिन तुरंत वाले तीन तलाक पर कानून जरूर बनेगा। आज अगर सरकार कानून बनाने जा रही है, तो इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट का बड़ा हाथ है।
उन्होंने कहा कि जब केन्द्र सरकार तीन तलाक पर कानून बनाए, तो वह शरियत के हिसाब से हो। शरियत के कायदे-कानून का पालन किया जाए, क्योंकि शरियत के अलावा तीन तलाक का कहीं भी कोई सही तरीका नहीं बताया गया है। वहीं ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेम्बर कमाल फारुकी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को गौर से पढ़ने की जरूरत है, कोर्ट ने सरकार को कोई भी ऐसा कानून बनाने के निर्देश नहीं दिए हैं। गुजरात चुनाव के दौरान कानून बनाना एक चाल है।
उन्होंने कहा कि, इससे पहले सरकार को याद नही था, गुजरात के चुनाव के मद्देनजर यह सब हो रहा है। हम पहले ही इस पर कानून बना चुके हैं, अब जो भी तुरंत वाला तीन तलाक देगा, उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
दूसरी ओर ऑल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की राष्ट्रीय अध्यक्षा शाइस्ता अम्बर का कहना है कि हमे पता था कि एक न एक दिन ऐसा जरूर होगा, लेकिन हम ये भी चाहते हैं कि जो कानून बने वो शरियत के दायरे में हो।