अनुज हनुमत | Navpravah.com
एक तरफ यूपी में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं और जनता के बीच चुनावों को लेकर जबरदस्त उत्साह है। वहीं दूसरी तरफ सियासी गलियारों में सूबे की सत्ता पर अपना कब्जा जमाने के लिए उठा पटक भी अपने चरम पर पहुंच गई है। लगातार अपनी ही पार्टी में चल रही नूराकुश्ती के कारण अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच सुलह की संभावना भी हर एक नये दिन के बाद समाप्त होती दिख रही है।
अगर समाजवादी पार्टी और परिवार में मची जंग की बात करें, तो यह अब आखिरी मुकाम पर पहुंच चुकी है। सूत्रों की मानें तो पार्टी के साइकिल सिंबल पर सोमवार को निर्वाचन आयोग अखिलेश यादव गुट और मुलायम सिंह खेमे के दावों को लेकर अपना फैसला सुना सकता है, लेकिन अभी भी सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि साईकिल सिम्बल मिलेगा किसे और अगर सिम्बल फ्रीज हुआ तो फिर आगे दोनों गुट क्या रणनीति बनाएंगे। फिलहाल सबकी नजरें आज चुनाव आयोग पर रहेंगी।
जानकारों की मानें तो निर्वाचन आयोग पार्टी के साईकिल सिंबल को फ्रीज कर दोनों खेमों को एक नया चुनाव चिन्ह प्रदान कर सकता है और ऐसे में नए चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ना अखिलेश ही नहीं बल्कि मुलायम सिंह यादव के लिए भी चुनौती भरा हो सकता है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में मतदाता पार्टियों के चुनाव चिन्ह को देखकर वोट करते हैं और इस समय जब लगातार पार्टी सत्ता पर थी तो साईकिल का जबरदस्त प्रचार भी हुआ है। अब जब चुनाव महज एक महीने ही बचा है, तो अखिलेश और उनके चुनाव रणनीतिकारों के लिए इतने कम समय में लोगों तक नए सिंबल का प्रचार करना आसान नहीं होगा। यह सबसे बड़ी चुनौती होगी ।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि अखिलेश यादव के लिए इस विधानसभा चुनाव में पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट और हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर स्टीव जार्डिंग ने इस स्थिति से निपटने के लिए भी मास्टर प्लान बनाया है और इस वक्त प्रोफेसर स्टीव जार्डिंग 1 लाख से ज्यादा लोगों के साथ काम कर रहे हैं। बताया तो यहाँ तक जा रहा है कि जार्डिंग की यह टीम गांवों में ब्रांड अखिलेश के लिए विलेज एम्बेसडर के रूप में काम कर रही है। अब इसमें कितनी सच्चाई है ये तो आने वाले परिणाम ही बताएँगे।
सबसे खास बात यह है कि इसके लिए जर्डिंग के पूर्व स्टूडेंट विक्रम सिंह 100 ट्रेंड लोगों की टीम को लीड कर रहे हैं और यह टीम सिंबल चेंज होने की सूरत में एक नए रणनीति के तहत लोगों को अखिलेश के नए सिंबल के बारे में बताएगी।
आपको बता दें कि इस राज्य स्तरीय कम्युनिकेशन नेटवर्क की वजह से ही अखिलेश यादव को विश्वास है कि आखिरी क्षणों में चुनाव चिन्ह बदलने की दशा में भी वे जीत सकते हैं। लेकिन उस दशा में ये सब इतना आसान नहीं होगा, जितना अखिलेश और उनके रणनीतिकार सोच रहे हैं।
मीडिया को मिली खबर के अनुसार अखिलेश मोटरसाइकिल चुनाव चिन्ह चाहते हैं। इससे यह भी मैसेज जाएगा की विकास के साथ-साथ साइकिल अब मोटरसाइकिल हो गई है। अब इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जायेगा, लेकिन इतना तो साफ़ है कि सूबे के इस हाई वोल्टेज पारिवारिक ड्रामे से लोगों में चुनाव को लेकर और उत्साह बढ़ गया है।