एनपी न्यूज़ नेटवर्क । Navpravah.com
रोहिंग्या मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम सुनवाई की तारीख तय की है, c
केंद्र सरकार ने दलील देते हुए कहा है कि, मसला आंतरिक सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़ा है और अदालत इसमें दखल न दे, रोहिंग्या लोगों ने अपने कैंप में बुनियादी सुविधाओं की कमी की भी शिकायत की है।
दरअसल, इससे पहले याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि रोहिंग्या जो बॉर्डर के जरिए भारत में प्रवेश चाहते हैं, उनको बॉडर से ही वापस भेजा जा रहा है, इसके लिए चिली पाउडर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि, सरकार इस समस्या के समाधान के लिए राजनयिक प्रयास कर रही है, इसलिए कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने NHRC के वकील से पूछा था कि क्या ऐसे लोगों को देश में घुसने की इजाजत दी जा सकती है? इस पर NHRC ने कहा था कि वो केवल उन लोगों के लिए चिंतित हैं जो बतौर रिफ्यूजी देश में रह रहे हैं।
रोहिंग्या समुदाय 12वीं सदी के शुरुआती दशक में म्यांमार के रखाइन इलाके में आकर बस तो गया, लेकिन स्थानीय बौद्ध बहुसंख्यक समुदाय ने उन्हें आज तक नहीं अपनाया है।
2012 में रखाइन में कुछ सुरक्षाकर्मियों की हत्या के बाद रोहिंग्या और सुरक्षाकर्मियों के बीच व्यापक हिंसा भड़क गई, तब से म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ हिंसा जारी है।