एनपी न्यूज़ नेटवर्क | Navpravah.com
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हिंडन, कृष्णा और काली नदियों में प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एसयू खान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
इस कमेटी में रिटायर जज के अलावा एक पर्यावरण मंत्रालय के वैज्ञानिक और एक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक शामिल होंगे, ये कमेटी एनजीटी के 8 अगस्त के आदेश का पालन कैसे हो रहा है, इसकी निगरानी करेगी।
एनजीटी ने 8 अगस्त को अपने आदेश में इन नदियों को दूषित कर रही 124 उद्योगों पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था, इसके अलावा एनजीटी ने प्रदूषण फैला रही इंडस्ट्रीज को तत्काल प्रभाव से बंद करने का भी आदेश दिया था। कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा था कि इन नदियों के प्रदूषण का शिकार हुए लोगों के लिए तुरन्त हेल्थ बेनीफिट स्कीम तैयार करे और प्रदूषित पानी निकालने वाले हेडपंपों को बंद किया जाए।
इससे पहले एनजीटी ने एक महीने के अंदर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के छह जिलों में प्रदूषित पानी देने वाले सभी हैंडपंप और बोरवेल सील करने का आदेश दिया था, इसमें गाजियाबाद, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ और गौतमबुद्धनगर शामिल हैं। एनजीटी ने राज्य सरकारको आदेश में कहा था कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिंडन, कृष्णी और काली नदी की वजह से भूजल प्रदूषित हो रहा है, इसमें सल्फेट, फ्लोराइड, कैडमियम, आयरन, निकल और मरकरी जैसे विषैले तत्व मिल रहे हैं, इसलिए प्रदूषित पानी देने वाले सभी बोरवेल और हैंडपंप तत्कालप्रभाव से सील किए जाएं।
आपको बता दें कि एनजीटी एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कैंसर से 50 ग्रामीणों की मौत हो चुकी है, एनजीटी ने एक समिति का गठन किया था, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, उत्तरप्रदेश जल निगम के अधिकारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संयुक्त रूप से नदियों और जलाशयों का सर्वेक्षण करेंगे।