शिखा पाण्डेय,
विश्वविख्यात आधुनिक भारतीय चित्रकार सैयद हैदर रज़ा भारत (94) का शनिवार सुबह 11 बजे निधन हो गया। एस.एच.रज़ा भारत के तीन सर्वोच सम्मान पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित थे। रज़ा पिछले दो महीनों से बुढ़ापे से संबंधित बीमारियों के चलते जीवन के साथ संघर्ष कर रहे थे और एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। रज़ा की इच्छानुसार उनका अंतिम संस्कार मध्यप्रदेश के मांडला में किया जाएगा।
दुनियाभर की प्रदर्शनियों को अपनी कला से सुशोभित करनेवाले रज़ा के रज़ा का जन्म 22 फरवरी 1922 को मध्यप्रदेश के मांडला जिले में हुआ था। रज़ा प्रोगेसिव आर्ट मूवमेंट का हिस्सा थे और इस समूह में वे सभी आर्टिस्ट थे जो भारतीय कला को विश्व पटल पर लेकर आए चाहे वो हुसैन हों, तैय्यब मेहता हों, सूज़ा हों या फिर अकबर पदमसी हों। रज़ा पचास के दशक में पेरिस चले गए और फिर वहीं रहे। लंबे समय तक उन्होंने वहीं काम किया। यूं तो रज़ा ने अलग अलग विषयों पर कई पेंटिंग्स की हैं लेकिन बिंदु पर आधारित उनके चित्रों को दुनिया भर में सराहा और पसंद किया गया। चित्रों पर हिंदी के वाक्य लिखने की शुरुआत भी शायद रज़ा ने ही की थी। कुछ साल पहले ही वे भारत लौटे थे।
रज़ा की ज्यादातर पेंटिंग तेल या एक्रेलिक में बनी हैं। उन्हें 1981 में कला क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्मश्री और ललित कला अकादमी की रत्न सदस्यता जैसे सम्मान मिले थे। 2007 में उन्हें पद्मभूषण मिला। 2013 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्मविभूषण मिला था। विश्व भर में उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं था। जून 2010 उनकी एक पेंटिंग 16.42 करोड़ में बिकी थीं जो खासी चर्चा में रही। वह 1983 में ललित कला अकादमी के फैलो निर्वाचित हुए थे।
पिछले वर्ष रज़ा को फ्रांस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द लीजन ऑफ ऑनर’ से नवाजा गया था। उन्हें यह सम्मान उनकी लाजवाब उपलब्धियों के लिए दिया गया था। इस सम्मान की शुरुआत 1802 में नेपोलियन बोनापार्ट ने की थी और यह पुरस्कार फ्रांस के लिए उत्कृष्ट सेवा के लिए दिया जाता है, चाहे जो भी नागरिकता हो।
उनके घनिष्ठ मित्र कवि अशोक वाजपेयी ने उनके निधन की सूचना दी। अशोक वाजपेयी ने रज़ा के अद्भुत जीवन व कला को शब्दों में पिरोया है – “A Life in Art- RAZA” के रूप में। उनके निधन की इस ख़बर ने कला की दुनिया को शोकाकुल कर दिया है।