अनुज हनुमत
लखनऊ। अखिलेश सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम ही ले रही हैं। इस बार राज्यपाल राम नाईक और यूपी के कद्दावर कैबिनेट मंत्री आजम खां एक बार फिर आमने सामने हैं। इस दफे वजह बना है एक शपथ ग्रहण समारोह, जिसमें विभागीय मंत्री होने के नाते आजम को इस शपथ ग्रहण में आना था, पर वो इस बार भी नहीं आए। इस पर क्षुब्ध राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को फोन कर आपत्ति जताई है, लेकिम ये कोई पहला मामला नहीं है जब राज्यपाल और आजम खां के बीच दूरियां नजर आई हैं।
राज्यपाल और मंत्री के बीच काफी वाक् युद्ध पहले भी हुआ है लेकिन ऐसा कभी नही हुआ। नगर विकास मंत्रालय के वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड के सदस्यों के शपथ ग्रहण समारोह का और विभागीय मंत्री होते हुए भी आजम खां इस समारोह से नदारद थे। ऐसे में सवाल तो उठने ही थे। सवाल इसलिए भी उठे क्योंकि समारोह राजभवन में हो रहा था और शपथ दिलानी थी राज्यपाल राम नाईक को। आजम की गैर मौजूदगी से क्षुब्ध राज्यपाल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को फोन पर आपत्ति दर्ज कराई। राज्यपाल राम नाइक ने अखिलेश यादव को ये सलाह भी दी कि एक कैबिनेट मंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए। जाहिर है, एक बार फिर राजभवन और आजम आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं। हालांकि ये पहला मामला नहीं है, इसके पहले भी कई बार आजम खान के बयानों को लेकर राज्यपाल एतराज जता चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक, जिस समारोह में राम नाईक ने शपथ दिलाई है उसमें आमतौर पर राज्यपाल की तरफ से मुख्य सचिव या कोई अफसर शपथ दिलाता है। लेकिन इस बार कार्यक्रम राजभवन में किया गया और राज्यपाल ने तय किया कि वे खुद शपथ दिलाएंगे। समारोह में आजम के साथ ही मुख्यमंत्री को भी आना था। पर सीएम ने फोन करके राज्यपाल को अपने नहीं आने की जानकारी दे दी थी। जब आजम भी नहीं गए तो सियासत गर्मा गई। कुछ भी हो लेकिन अखिलेश सरकार अपने दो मजबूत स्तंभो से बहुत परेशान है। पहले नंबर पर शिवपाल यादव हैं तो दूसरे नम्बर पर आजम खां। अब देखना होगा कि इन सब विवादों का आगे यूपी विधानसभा के चुनावों पर क्या फर्क पड़ता है।