अनुज हनुमत,
देश की राजनीति में आये दिन किसी न किसी प्रकार की हलचल होती रहती है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से अरुणाचल प्रदेश की राजनीति हाई वोल्टेज ड्रामे से गुजर रही है। हाल ही में अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में पुनः बहाल हुए नबाम तुकी को राज्यपाल के निर्देश के अनुसार शनिवार को ही शक्ति परीक्षण से गुजरना होगा क्योंकि राज्यपाल ने बहुमत साबित करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाने का उनका अनुरोध और कैबिनेट प्रस्ताव खारिज कर दिया। जिसके बाद इसकी गूँज दिल्ली तक सुनाई दे रही है।
बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बहाल किये गये मुख्यमंत्री तुकी ने शुक्रवार को राज्यपाल तथागत राय से मुलाकात की और शक्ति परीक्षण के लिए कम से कम दस दिन का समय मांगा। एक बात और ध्यान देने वाली है कि तत्कालीन राज्यपाल जेपी राजखोवा विवादित भूमिका के बाद जनवरी में गिरने वाली कांग्रेस सरकार का तुकी नेतृत्व कर रहे थे। अभी भी संख्या बल तुकी के पक्ष में कतई नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि निवर्तमान मुख्यमंत्री कालिखो पुल ने 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 11 और दो निर्दलीय विधायकों सहित 43 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।
इस परिस्थति में तुकी की मुश्किलें आज फ्लोर टेस्ट के दौरान बढ़ सकती हैं। पुल ‘पीपुल्स पार्टी ऑफ़ अरूणाचल’ (पीपीए) के प्रमुख हैं, जिसमें कांग्रेस के बागी भी शामिल हैं और तुकी ने कांग्रेस के बागी विधायकों से पार्टी में वापस लौटने की अपील की है। अब ये अपील कितना कारगर साबित होगी, ये तो आज ही पता चल जायेगा। आज के फ्लोर टेस्ट के लिए जिला प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं और राज्यपाल ने उससे विधानसभा, महत्वपूर्ण मार्ग, निजी आवासों और सभी पक्षों की अन्य संपत्तियों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया ने कहा कि उनके लिए इतने कम समय में विधानसभा का सत्र बुलाना संभव नहीं होगा। उधर, भाजपा की राज्य इकाई ने शक्ति परीक्षण के दौरान पीपीए को पूरा समर्थन देने का प्रस्ताव स्वीकार किया है। अब आज देखना होगा कि क्या आज कांग्रेस उत्तराखण्ड जैसी जीत हासिल कर पायेगी या तुकी अपनी पार्टी का सम्मान नही बचा पायेगें। ये भी देखना आज दिलचस्प होगा कि क्या केंद की बीजेपी सरकार को उत्तराखण्ड के बाद अरुणांचल प्रदेश में भी आज मुंह की खानी पड़ेगी!