सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और यूनाइटेड मुस्लिम फ्रंट के अध्यक्ष शाहिद अली इलाहाबाद का नाम बदलने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहे हैं, उनका कहना है कि, इलाहाबाद का नाम बदलना भारत सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देश अधिसूचना 27.09.1975 का उल्लंघन है।
शाहिद अली ने निजी चैनल से कहा कि, भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 (एफ) में यह बताया गया है कि यह हमारी समग्र संस्कृति की समृद्ध विरासत को संरक्षित और मूल्यवान रखने के लिए हर नागरिक का कर्तव्य होगा और इस कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए हमें कोर्ट जाना होगा।
उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि, भाजपा सरकार में हैं, तो क्या कानून को ताक पर रख देंगे, यह वास्तव में शर्मनाक है, उन्होंने कहा कि हम यूपी सरकार के इस भयानक और अवैध कृत्य की निंदा करते हैं।
प्रसिद्ध वकील माजिद मेनन का मानना है कि, इलाहबाद का नाम बदलने की क्रिया प्राथमिक क्रिया थी कि नाम बदल दिया जाए, पूरे उत्तर प्रदेश में बहुत सारे मुद्दे मुंह फाड़े मौजूद हैं लेकिन मुख्यमंत्री उस तरफ ध्यान देने के बजाय नाम बदलने की मुहिम में लगे हैं।
प्रशांत भूषण का कहना है कि, इलाहाबाद का नाम बदलना पूरी तरह से गलत है, सरकार का एक ही काम रह गया है कि जहां-जहां मुस्लिम नाम दिखाई दे उसको बदल दो और हिन्दू नाम रख दो, सरकार हर जगह नफरत फैलाना चाहती है और इस पर वह राजनैतिक रोटी सेंक रहे हैं।