मुंबई: गत दिनों मुंबई विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ.सुहास पेडणेकर ने हिंदी विभाग के वरिष्ठतम प्रोफेसर डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय को आगामी तीन वर्षों के लिए हिंदी विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। गौरतलब है कि डॉ.उपाध्याय के पिछले कार्यकाल में पच्चीस से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन, पांच नये अध्यापकों की नियुक्ति तथा हिंदी भवन का भूमिपूजन जैसे बड़े कार्य सम्पन्न हुए थे।
प्रोफेसर उपाध्याय भारतीय और पाश्चात्य कविता तथा काव्यशास्त्र के अधिकारी विद्वान हैं। अब तक इनकी सत्रह मौलिक आलोचना पुस्तकें तथा पंद्रह संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।इनके विविध पत्र-पत्रिकाओं में 350 से अधिक शोध लेख भी प्रकाशित हो चुके हैं। इन्हें राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बीस से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनके मार्गदर्शन में अब तक 25 छात्र पी.एच.डी. और 51 छात्र एम.फिल. उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।
डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय को अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और रक्षा विशेषज्ञ के रूप में जी न्यूज़, इंडिया टी.वी, न्यूज़ नेशन, न्यूज़18, न्यूज़ 24 जैसे चैनलों पर लगातार आमंत्रित भी किया जाता है। प्रोफेसर उपाध्याय हिंदी भाषा की अखंडता की रक्षा के लिए लगातार प्रयासरत हैं। आप हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए भारत सरकार को गंभीर प्रयास करने के लिए तैयार कर रहे हैं। आपका मानना है कि आज विश्व का हर छठा व्यक्ति हिंदी बोलने अथवा समझने में सक्षम है। यदि हिंदी प्रतिष्ठा सहित संयुक्त राष्ट्र संघ में आसीन नहीं है, तो यह विश्व के हर छठे व्यक्ति के मानवाधिकार का उल्लंघन है।इसी तरह हमारे देश की 78 प्रतिशत जनता हिंदी बोलने अथवा समझने में सक्षम हैं। यदि हमारे न्यायालय हिंदी में बहस और निर्णय की अनुमति नहीं देते, तो यह भी देश के 78 प्रतिशत लोगों के मानवाधिकार का उल्लंघन है।
डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय के दुबारा अध्यक्ष बनने से छात्रों, अध्यापकों और हिंदी जगत में उल्लास और उमंग का माहौल है। ऐसा माना जा रहा है कि अब विभाग की अकादमिक जड़ता टूटेगी और हिंदी भाषा तथा साहित्य के विकास को गति मिलेगी।