शिखा पाण्डेय | Napravah.com
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आकाशवाणी से 31 वीं बार ‘मन की बात’ की। आज प्रधानमंत्री ने देश भर के युवाओं से कुछ नया जानने व सीखने का आह्वान किया व सभी देशवासियों के प्रयासों द्वारा ‘न्यू इंडिया’ का स्वप्न साकार करने का भरोसा भी जताया। प्रधानमंत्री ने कई महापुरुषों के योगदान की याद दिलाई व युवाओं से भी उन दिशाओं में आगे बढ़ने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि ‘मन की बात’ में विविधताओं से भरी हुई जानकारियां मिलती हैं व पता चलता है कि देश के हर कोने में शक्तियों का अम्बार भरा पड़ा है। मन की बात पर आये सुझावों का सरकार विश्लेषण करती है। मोदी ने कहा,”,इस विश्लेषण से हमने जाना है कि सुझाव भेजने वाले मात्र सुझाव ही नहीं भेजते, वे स्वयं उन मुद्दों का अनुभव करते हैं, उन्हें सुलझाने के लिए प्रयत्नशील हैं व ‘मन की बात’ के माध्यम से उन मुद्दों को पूरे देश तक पहुँचाना चाहते हैं। मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं।”
पिछली बार ‘मन की बात’ में भोजन की बर्बादी पर हुई बात का ज़िक्र करते हुए पीएम ने कहा कि जनता ने अन्न के अपव्यय को रोककर उसे लाखों-करोड़ों गरीबों तक पहुंचने के अप्रतिम उपाय सुझाये। जनता, खासकर युवा वर्ग इस विषय में काफी जागरूक हुआ है। पीएम ने ‘रोटी बैंक’ का भी ज़िक्र किया जहाँ लोग बचा हुआ खाना जमा कराते हैं और ज़रूरतमंद लोग निःसंकोच वहां से पेट भर भोजन प्राप्त कर पाते हैं।
बच्चों की गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो गई हैं। पीएम ने इन छुट्टियों के सदुपयोग व ‘सेल्फ इम्प्रूवमेंट’ के विषय में काफी महत्त्वपूर्ण बातें कीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “कई युवा कंफर्ट जोन में ही रहना चाहते हैं, लेकिन मैं गर्मियों की छुट्टी में जाने वाले युवाओं को तीन सुझाव देना चाहता हूं। स्किल डेवलपमेंट, एक्सपेरिमेंट्स व एक्सपेरिएन्सेस।” पीएम ने बच्चों से आह्वान किया कि वे नई जगह घूमने जाएं, अनुभव लें। हमेशा रिजर्वेशन से सफर करने वाले कभी जनरल कोच में सफर कर के देखें। सफर के उन 24 घंटों में काफी कुछ नया जानने-सीखने को मिलेगा। उन नए हुनर व कलाओं को सीखें, जो आप सीखना चाहते हैं, नई भाषाएं सीखें। जो आपने सीखा है, उसे मुफ्त में उन लोगों को सिखाएं, जो उन चीज़ों को सीखने में आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि तकनीक आपको जोड़ने के लिए है, अलग करने के लिए नहीं। उसका सदुपयोग कर नयी चीज़े सीखें व औरों को भी सिखाएं।
प्रधानमंत्री ने वीआईपी कल्चर के बारे में मन की बात में चर्चा करते हुए कहा, देश में वीआईपी की जगह इपीआई (Every Person Is Important) का महत्व बढ़ाने की आवश्यकता है। पीएम ने कहा, “सरकारी निर्णय से लाल बत्ती का जाना, ये तो एक व्यवस्था का हिस्सा है, लेकिन हमें इसे मन से भी प्रयत्नपूर्वक बाहर निकालना है। हम सबको मिलकर इसके लिए जागरूक प्रयास करना होगा, तभी कुछ लोगों की कुंठित मानसिकता से ये वीआईपी का टैग निकल सकेगा क्योंकि देश भर की 125 करोड़ जनता वीआईपी है। उन्होंने मध्यप्रदेश की शिवा चौबे का इससे संबंधित मेसेज भी साझा किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संत रामानुजाचार्य को याद करते हुए कहा, इस वर्ष संत रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती है। 1000 वर्ष पूर्व रामानुजाचार्य जी ने जातिगत भेदभाव, ऊंच-नीच, छुवा-छूत के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने अपने आचरण द्वारा लोगों में अपनी जगह बनाई। अछूत को मंदिर में प्रवेश दिलाने के लिए आंदोलन किए। भारत सरकार उनके सम्मान में 1 मई को एक डाक टिकट जारी करेगी।
पीएम ने कहा कि 1 मई को श्रमिक दिवस के रूप में विश्व मनाता है। श्रमिकों के कल्याण के लिए बाबा साहब अंबेडकर का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।12वीं सदी के समाजसुधारक बसवण्णा ने भी श्रम व श्रमिकों के हित में काफी जागरूकता फैलाई। उन्होंने कहा था कि परिश्रम से ही भगवान प्राप्त होते हैं। प्रधानमंत्री ने इस दिशा में भारतीय मजदूर संघ के जनक दत्तोपान्त ठेंगड़ी के योगदान को भी याद किया। पीएम ने आगामी पर्व बुद्ध पूर्णिमा का ज़िक्र करते हुए कहा कि समाज को शांति का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध के सन्देश हिंसा, युद्ध, शस्त्र प्रयोग, भय, प्रतियोगिता के माहौल में बहुत प्रेरणादायी साबित होते हैं।
अंत में पीएम ने भारत द्वारा आगामी 5 मई को लांच की जा रही दक्षिण एशिया सैटेलाइट का ज़िक्र करते हुए कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ से तात्पर्य बस अपने देश का नहीं, बल्कि सभी पड़ोसी मुल्कों का भी साथ व विकास है। भारत द्वारा प्रक्षेपित यह सैटेलाइट पूरे दक्षिण एशिया के लिए तमाम तरह से मददगार साबित होगा। उन्होंने इसे दक्षिण एशिया के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का उपयुक्त उदहारण व एक अनमोल नज़राना बताया। उन्होंने सभी दक्षिण एशियाई देशों को इस दिशा में सहयोग के लिए अनेक धन्यवाद व शुभकामनाएं दीं।