A.C. केबिन में ऐश कर रहे ‘प्रभु’ के अधिकारी, रेलवे की लापरवाही से यात्रियों का बुरा हाल

शिखा पाण्डेय | Navpravah.com

एक ओर सरकार बुलेट ट्रेन और तमाम तकनीकी तरक्कियों की बात कर रही है और दूसरी ओर पहले से मौजूद ट्रेनों की असुविधाओं को दूर करने में असमर्थ है। छुट्टियों के दौरान बुकिंग व ट्रेनों के सफर में होने वाली तमाम दिक्कतों तक तो ठीक है, लेकिन कई ऐसी गाड़ियां हैं जो साल भर लेट लतीफ़ और असुविधाजनक बनी रहती हैं।

ऐसी ही एक ट्रेन है लखनऊ जंक्शन इंटरसिटी सुपरफास्ट एक्सप्रेस(ट्रेन नं. 12180)। कहने को तो यह ट्रेन सुपरफास्ट है, लेकिन इसकी लेट लतीफ़ी से यात्रियों का ही नहीं टिकट चेकर्स तक का हाल बेहाल है।

आगरा से लखनऊ के बीच चलने वाली इस ट्रेन में सफर कर रहे नियमित यात्री, आर. के. यादव (पीएनआर- 2329629786), चाणक्य त्रिपाठी (पीएनआर-2129747446), रेखा चौहान (पीएनआर- 2710676723) से बात करने पर पता चला कि यह ट्रेन आज तक कभी अपने सही समय पर किसी गंतव्य तक नहीं पहुंची है। नाम मात्र की यह इंटरसिटी एक्सप्रेस जगह-जगह पर बीच-बीच में रुक जाया करती है।

स्टेशनों के अतिरिक्त घंटों घंटे कहीं भी बीच में रुके रहने के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बच्चे पानी तक के लिए तरस जाते हैं, घंटों उन्हें भूखा रहना पड़ता है, लोग अपने ज़रूरी कामों के लिए समय पर नहीं पहुँच पाते। एसी कोच में एसी काम नहीं करता।

इसी ट्रेन से यात्रा कर रहे नवप्रवाह मीडिया समूह के प्रबंध सम्पादक प्रज्ञात द्विवेदी ने इस सन्दर्भ में रेल अधिकारियों से बात की। जिसके बाद पता चला कि इस ट्रेन का हमेशा से यही हाल रहा है। टिकट चेकर्स से इस सन्दर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वे भी इस ट्रेन की ऐसी नियमित अनियमितता से तंग आ चुके हैं।

ट्रेन में मौजूद एक टीसी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, “सर, यात्रियों की छोड़िये, हम लोग खुद इस ट्रेन में ड्यूटी नहीं चाहते। इस ट्रेन की ड्यूटी हमें मजबूरन बजानी पड़ती है।” लखनऊ जंक्शन इंटरसिटी सुपरफास्ट एक्सप्रेस से यात्रा कर रहे तमाम यात्रियों का रेल मंत्रालय से यही निवेदन है कि भारतीय रेल बुलेट ट्रेन का सपना साकार करने से पहले, मौजूद ट्रेनों की हकीकत से रूबरू हो और पहले उनको सुविधाजनक बनाने का प्रयास करे।

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