इशिका गुप्ता | navpravah.com
नई दिल्ली| हाल के दिनों में केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने केंद्र सरकार के कुछ प्रमुख फैसलों पर खुलेआम सवाल उठाए हैं। उनके इन बयानों ने भाजपा को असहज कर दिया है, और अब ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा उनके चाचा पशुपति पारस को महत्वपूर्ण भूमिका देकर चिराग पर नियंत्रण की योजना बना रही है।
पशुपति पारस, जो पिछले कुछ समय से राजनीति में हाशिए पर थे, उन्हें जल्द ही किसी राज्य का राज्यपाल या किसी केंद्रीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। भाजपा अगर ऐसा करती है, तो पारस का राजनीतिक कद चिराग के बराबर होगा, जिससे भाजपा पारस के जरिए चिराग पर दबाव बनाए रख सकेगी।
चिराग पासवान ने हाल ही में वक्फ बिल और सरकारी नौकरियों में लैटरल एंट्री जैसे मुद्दों पर विरोध जताया था। इसके अलावा, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति और जनजाति कोटा में सब-कैटेगरी और क्रीमी लेयर को चिन्हित करने के फैसले का भी विरोध किया था।
इन कदमों से भाजपा असहज महसूस कर रही थी, और अब चिराग की बढ़ती दखलअंदाजी को नियंत्रित करने के लिए उनके चाचा पशुपति पारस को फिर से सक्रिय किया जा रहा है। भाजपा इस कदम से यह संदेश देना चाहती है कि चिराग पासवान केंद्र सरकार के फैसलों में ज्यादा हस्तक्षेप न करें।
हालांकि, पशुपति पारस पिछले कुछ महीनों से राजनीति में हाशिए पर थे, और 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए में होते हुए भी उन्हें बिहार में कोई सीट नहीं दी गई थी। इसके बावजूद, पारस एनडीए में बने हुए हैं, और अब उन्हें एक महत्वपूर्ण भूमिका मिलने की संभावना है, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत हो सकती है।