वक़्फ़ बोर्ड में तब्दीली से क्यों डर रहे हैं मुसलमान ?

सौम्या केसरवानी | navpravah.com
नई दिल्ली | सरकार ने मुस्लिम वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक संसद में पेश किया है। सरकार का कहना है कि वह वक्फ संपत्तियों में अनियमितताओं को दूर करना चाहती है। इस संशोधन के बाद गैर-मुस्लिम व्यक्तियों और मुस्लिम महिलाओं को भी केंद्रीय और राज्य वक्फ निकायों में शामिल किया जा सकेगा। इस संशोधन विधेयक पर विपक्ष जमकर हंगामा कर रहा है, लेकिन वहीं नीतीश कुमार की जदयू ने इस विधेयक को अपना समर्थन दे दिया है।
मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सरकार इस कदम से धर्म में दखल दे रही है, जो कि गलत है। वहीं कांग्रेस इसे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन बता रही है। आपको बता दें कि वक्फ अरबी भाषा का शब्द है, इसका अर्थ ‘खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु या परोपकार के लिए दिया गया धन’ होता है। इसमें चल और अचल संपत्ति को शामिल किया जाता है, कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति वक्फ को दान कर सकता है।
देश में शिया और सुन्नी दो तरह के वक्फ बोर्ड हैं, वक्फ संपत्ति के प्रबंधन का काम वक्फ बोर्ड करता है। यह एक कानूनी इकाई है, वक्फ बोर्ड में संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है, बोर्ड संपत्तियों का पंजीकरण, प्रबंधन और संरक्षण करता है। वक्फ बोर्ड को मुकदमा करने की शक्ति भी है।
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के अलावा बोर्ड वक्फ में मिले दान से शिक्षण संस्थान, मस्जिद, कब्रिस्तान और रैन-बसेरों का निर्माण व रखरखाव करता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में वक्फ बोर्ड के पास आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। साल 2009 में यह जमीन चार लाख एकड़ थी, इनमें अधिकांश मस्जिद, मदरसा, और कब्रिस्तान शामिल हैं, इस समय रेलवे और रक्षा विभाग के बाद देश में वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है।

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