अमित द्विवेदी,
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को ‘तानाशाह’ और घमंडी सरकार बताया है। ममता का कहना है कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं को तर्कसंगत बनाने की हाल में की गईं सिफारिशें एकतरफा हैं। ममता ने कहा कि मोदी सरकार के आते ही देश में आपातकाल से भी बदतर हालात पैदा हो गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “केंद्र सरकार ने एक पत्र भेजा है जिसमें घोषणा की गई है कि संस्तुतियों को लागू कर दिया गया है।” ममता ने कहा कि बीजेपी के प्रभुत्व वाले मुख्यमंत्रियों के उपसमूह ने सीसीएस को तर्कसंगत बनाने की जो सिफारिश की है, वह संघीय स्वरूप पर पर हमला है।
ममता ने सहयोगी संघवाद का उल्लेख करते हुए कहा, “केंद्र सरकार वास्तव में राज्यों एवं लोकतंत्र को भयभीत कर रही है। यह तानाशाही है।” ममता ने नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिग इंडिया (नीति) आयोग का पत्र लहराते हुए मीडिया कर्मियों से पूछा,” मैं जानना चाहती हूं कि क्या वे लोग देश में राष्ट्रपति प्रणाली वाली सरकार चला रहे हैं?”
घमंडी सरकार की वजह से कश्मीर में हो रही तबाही-
मुख्यमंत्री ने कहा, ” सरकार के घमंड के कारण जम्मू एवं कश्मीर और पाकिस्तान का मुद्दा तबाही का रूप लेता जा रहा है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कदम के पीछे मकसद उन राज्यों को वंचित कर देना है, जहां बीजेपी सत्ता में नहीं है।
ममता ने कहा, “उन लोगों ने एक सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली बनाई है, जिसका मकसद राज्यों की तरफ से किए जा रहे खर्च पर नजर रखना है। मैं पूछना चाहती हूं कि वे राज्य के खजाने पर नजर क्यों रखना चाहते हैं? मीडिया से लेकर शिक्षा तक, केंद्र सरकार हर चीज को नियंत्रित करना चाहती है। वे एक चुनी हुई सरकार को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास कर रहे हैं।”
ममता ने कहा कि केंद्र सरकार की भेदभाव वाली कार्रवाई के खिलाफ राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की गुहार लगाई जाएगी। उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या करने का एक खतरनाक प्रयास है। हमलोग राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की मांग करेंगे और लोकतंत्र और संघीय स्वरूप पर केंद्र सरकार के लगातार हमले के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन भी किया जाएगा।”