कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता – सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट
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एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com

भारत के कई हिस्सों में गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा के मामले में सुप्रम कोर्ट ने आज अहम फैसला दिया है, शीर्ष अदालत ने कहा है कि देश में भीषणतंत्र की इजाजत नहीं दी जा सकती है, कोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें देश में होने वाली हिंसा को रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत है‌।

कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारों को लिन्चिंग रोकने के लिए संविधान के अनुसार, काम करने के आदेश जारी कर दिये हैं, इसके साथ ही राज्य सरकारों को लिन्चिंग रोकने के लिए गाइडलाइंस को 4 सप्ताह के भीतर जारी करने का आदेश जारी किया गया है।

गोरक्षा हिंसा रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संसद से आग्रह किया है कि वह इसके लिए अलग से कानून बनाने पर विचार करें, कोर्ट ने भीड़ के पीट-पीट कर मार डालने की घटनाओं की निंदा करते हुए इसे कड़ाई से रोकने को कहा है।

भीड़ के मार डालने की घटनाएं रोकने और दोषी को सजा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संसद से अलग से कानून बनाने पर विचार करने को कहा है, कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना, भीड़ द्वारा हिंसा रोकना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति ख़ुद में क़ानून नहीं और कानून को हाथ में लेने का किसी को हक़ नहीं है, कोर्ट ने कहा कि देश के सेकुलर ढांचे और क़ानून व्यवस्था का कायम रखना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है, जिससे सहजता  से निभाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने गोरक्षा करने वालों पर बैन की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान छह राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी , गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड व कर्नाटक को नोटिस जारी किया था।

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