भारत-पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से LOC पर युद्ध जैसा माहौल है। भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में ऐसे तनाव के बीच फिलहाल किसी और खबरों को एहमियत नहीं दी जा रही है, लेकिन आज हम पाकिस्तान की बहादूर महिला और मानवाधिकारी वकील आसमां जहांगीर के बारे में नहीं लिखेंगे, तो ये उनके प्रति अन्याय होगा। सामाजिक कार्यकर्ता आसमां जहांगीर का 13 फ़रवरी (मंगलवार) को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
बता दें कि आसमां जहांगीर वही महिला हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में रहते हुए कुलभूषण जाधव के समर्थन में निर्भीक होकर अपनी आवाज़ बुलंद की थी। इसके साथ ही उन्होंने जाधव के समर्थन में लेख लिखें और साक्षात्कार भी दिए। आसमां जहांगीर के इस बेख़ौफ़ रवैये के कारण पाकिस्तान में उनपर जानलेवा हमला भी हुआ था, लेकिन उनका यह रवैया निरपेक्ष, पक्षपातरहित प्रबल मानवाधिकार का प्रमाण है।
आसमां जहाँगीर ने पकिस्तान में महिला विरोधी तथा पुरुषसत्तात्मक कानून (कोराकोरी) और (वनी) के खिलाफ लम्बी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने पाकिस्तान में सैन्य सत्ता और शासन द्वारा आवाम पर किए जा रहे जुल्मों के खिलाफ बेख़ौफ़ होकर अपनी आवाज़ बुलंद की है। इतना ही नहीं आसमां जहांगीर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष बनने वाली पहली महिला थीं। शिक्षा- आसमां जहाँगीर ने वर्ष 1978 में पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। परिवार- उनके परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। उनकी बेटी मुनीजे जहांगीर टीवी एंकर हैं। जनवरी, 1952 में लाहौर में पैदा हुईं आसमां जहांगीर ने ह्यूमन राइट्स ऑफ पाकिस्तान की सह स्थापना की और उसकी अध्यक्षता भी संभाली।