नेहरू की असफल ‘राजनितिक मॉडल’ की देन है कश्मीर समस्या -जितेंद्र सिंह

अमित द्विवेदी,

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह का मानना है कि जम्मू कश्मीर नेहरू के ‘असफल’ राजनीतिक मॉडल का एक स्पष्ट उदाहरण है। सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से शुरू की गई ‘तिरंगा यात्रा’ तभी पूरी होगी, जब भारतीय ध्वज गिलगित, बाल्टिस्तान व कोटली में फहराया जाएगा।

सिंह ने जम्मू के बाहरी क्षेत्र में आयोजित ‘याद करो कुर्बानी’ रैली को संबोधित करते हुए कहा, “कल केंद्रीय वित्त मंत्री ने नेहरू के असफल आर्थिक मॉडल की बात की थी और आज मैं कहता हूं कि यदि आपको नेहरू का असफल राजनीतिक मॉडल देखना है तो जम्मू-कश्मीर उसका एक सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

सिंह ने कहा कि महाराजा हरि सिंह के नियंत्रण में जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र 2.25 लाख वर्ग किलोमीटर का था लेकिन प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ‘असफल’ राजनीति के चलते भारत के हिस्से में उस क्षेत्र का मात्र एक लाख वर्ग किलोमीटर ही आया, बाकी पाकिस्तान द्वारा कब्जा कर लिया गया जैसे गिलगित,बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर पाकिस्तान ने हथिया लिया।

सिंह ने कहा कि नेहरू के इस फैसले ने महाराजा को इतना आहात किया कि नेहरू से उन्होंने कभी भी जम्मू कश्मीर नहीं लौटने का फैसला किया और अपनी आखिरी सांस मुम्बई में ली। उन्होंने कहा,” विरोधी भले ही विरोध करें, पर बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन का मुद्दा उठाना देश की ‘आत्मरक्षा’ के लिए जरूरी है क्योंकि पड़ोस की स्थिति सीधे तौर पर हमें प्रभावित करती है।”

उल्लेखनीय है कि इससे पहले जेटली ने भी मुम्बई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, “जब नरसिंह राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पाया कि खजाने में विदेशी मुद्रा भंडार नहीं बचा है और देश दिवालियेपन की ओर बढ़ रहा है। इसलिए उस मजबूरी में सुधार लाये गए।”

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