शिखा पाण्डेय,
अपने अति बोलने के कारण अक्सर विवादों में रहने वाले, देशद्रोह के मामले में जमानत पर चल रहे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार की एक कार्यक्रम में बोलती ही बंद कर दी गई। कन्हैया को शनिवार को एक कार्यक्रम में श्रोताओं ने बोलने ही नहीं दिया, जिससे उन्हें अपना भाषण बीच में ही रोकना पड़ा।
कन्हैया को शनिवार को ‘इंडिया टुडे माइंड रॉक्स सम्मेलन’ में हिस्सा लेना था और आजादी पर संबोधन देना था। लेकिन श्रोताओं ने उन्हें पसंद नहीं किया और जब वह मंच पर पहुंचे तो लोग उन्हें हूट करने लगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमेशा की तरह ज्यों ही कन्हैया ने निशाना साधा और कहा “आज उनका जन्मदिन है, लेकिन आधे लोग सड़कों पर हैं और अन्य जेलों में। खुशियां क्यों मनाना। यदि देश की 65 फीसदी आबादी युवा है तो 65 साल का व्यक्ति उनका नेता कैसे हो सकता है?”, श्रोताओं को अपने प्रधानमंत्री पर यह टिप्पणी इतनी नागवार गुजरी कि वे मोदी के पक्ष में नारे लगाते हुए कन्हैया को हूट करने लगे।
इसपर कन्हैया ने मजाकिया लहज़े में कहा, “जो लोग यहां हूटिंग कर रहे हैं वे भी ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं। देश में आजादी है। आप पर राजद्रोह का मामला नहीं लगेगा।”
जेल का अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा, “जेल में रहने में क्या बुराई है? महात्मा गांधी और भगत सिंह भी जेल जा चुके हैं।” जब कन्हैया से पूछा गया कि क्या जेल जाना वे अपनी शान समझते हैं, तो उन्होंने कहा, “यह दुनिया हममें से बहुतों के लिए जेल है। जब लड़कियों को रात में बाहर नहीं जाने दिया जाता तो वे जेल में हैं, जब लोग बेरोजगार हों और फुटपाथों पर रहते हों तो वे जेल में हैं। ऐसे में बड़े जेल (दुनिया) की तुलना में छोटे जेल में रहना बेहतर है।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या जेएनयू में नौ फरवरी को हुई नारेबाजी देशद्रोह है, कन्हैया ने कहा, “नारेबाजी देशद्रोह नहीं है। कोई भी गतिविधि जो देश को तोड़े या ऐसा करने का प्रयास करे, देशद्रोह है। नारे कभी देश नहीं तोड़ते और भारत इतना कमजोर नहीं है कि वह किसी के नारों से विभाजित हो जाएगा या टुकड़ों में बंट जाएगा।” इस बीच श्रोताओं द्वारा व्यवधान जारी रखने के चलते कन्हैया को अपना भाषण बीच में छोड़ना पड़ा।
गौरतलब है कि कन्हैया को इस साल फरवरी में एक कार्यक्रम में कथित रूप से राष्ट्रविरोधी नारे लगाए जाने के बाद देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।