शिखा पाण्डेय,
जम्मू-कश्मीर में छाई अशांति के माहौल को नियंत्रित करने के मद्देनजर घाटी में 12 साल बाद एक बार फिर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को तैनात किया गया है। कल श्रीनगर के लालचौक और आसपास के इलाके में बीएसएफ के एक दस्ते ने करीब 12 साल बाद फ्लैग मार्च किया।
केंद्र ने कश्मीर में हालात सामन्य बनाने के लिए बीएसएफ की 26 और कंपनियों को भेजने का फैसला किया है। बीएसएफ की इन 26 कंपनियों को राज्य के समस्याग्रस्त इलाकों में कानून व्यवस्था बनाने के लिए भेजा जा रहा है। घाटी में लगातार हो रही हिंसा और कई इलाकों में अशांति के बीच केंद्र ने सोमवार को 2600 अतिरिक्त अर्द्धसैनिक बलों को जम्मू कश्मीर के लिए रवाना कर दिया।
हिजबुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में करीब डेढ़ माह से हिंसा और तनाव का माहौल बना हुआ है। ऐसे में सोमवार से घाटी के भीतरी इलाकों में बीएसएफ की तैनाती की गई है। घाटी के कई इलाकों में अभी भी कर्फ्यू है।
यह पुख़्ता जानकारी सरकारी सूत्रों की ओर से दी गई है। जानकारी के अनुसार इन बलों को गुजरात, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से लिया गया है और उनके एक दो दिन में घाटी पहुंच जाने की संभावना है। इसके अतिरिक्त अमरनाथ यात्रा की ड्यूटी से हटाए जाने के बाद बल की 30 अतिरिक्त कंपनियों को भी अगले कुछ दिन में राज्य में भेजे जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय बाई कि जम्मू-कश्मीर के लोग पहले से ही बीएसएफ को आक्रामक बल मानते हुए उनकी तैनाती का विरोध करते आए हैं। संभवत: यही कारण रहा कि करीब 12 सालों पूर्व सीमा सुरक्षा बल को हटाकर घाटी में सीआरपीएफ की तैनाती कर दी गई थी।
1990 के दौरान आतंकी गतिविधियों पर काबू करने के उद्देश्य से सीमा सुरक्षा बल को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया था, लेकिन बाद में वर्ष 2004 के दौरान बल का स्थान सीआरपीएफ ने ले लिया था। अब एक बार फिर सीमा सुरक्षा बल के हाथों में कश्मीर की सुरक्षा की कमान थमा दी गई है।