अनुज हनुमत | Navpravah.com
घाटी में सेना की कार्यवाही को लेकर राजनीतिक गलियारों में जिस तरह की एकता होनी चाहिए, फिलहाल ऐसी नहीं दिख रही है। सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती शायद सेना की कार्यवाही के खिलाफ खड़ी नजर आ रही हैं। राज्य सरकार ने आज बड़ा फैसला लेते हुए सबको चौंका दिया है।
जम्मू कश्मीर सरकार ने 2008 और 2017 के बीच पथराव की घटनाओं में शामिल 9,730 लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने को मंजूरी दी है। जिन लोगों के खिलाफ मामले वापस लिए जाने हैं, उसमें पहली बार अपराध करने वाले लोग भी शामिल हैं।
सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि 1,745 मामले वापस लेने की कार्रवाई कुछ शर्तों पर निर्भर करेगी। वहीं, मामले की पड़ताल के लिए गठित समिति की सिफारिशों पर बाकी को माफी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने 4,000 से अधिक लोगों को आम माफी देने की सिफारिश की है। ये लोग पिछले दो वर्षों में पथराव जैसी मामूली घटनाओं में शामिल रहे हैं।
आज विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में मुफ्ती ने कहा कि वह पहली बार अपराध में शामिल लोगों के ब्योरे का खुलासा ऐसे लोगों और उनके परिवार की सुरक्षा की वजह से नहीं करेंगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि 2016 और 2017 के बीच 3,773 मामले दर्ज किए गए। इनमें 11 हजार 290 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। 233 का अब तक पता नहीं लगा है। सात मामले स्वीकार नहीं किए गए। 1,692 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए, जबकि 1,841 मामलों में जांच चल रही है। महबूबा के पास गृह विभाग भी है।
हालांकि वर्ष 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर घाटी में काफी अशांति रही। इसमें 85 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2016 में 2,904 मामले दर्ज किए गए और 8,570 लोगों को पथराव करने की घटनाओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया, वहीं 2017 में दर्ज मामलों की संख्या घटकर 869 हो गई और इस संबंध में 2720 लोगों को गिरफ्तार किया गया।