एक साधारण किसान परिवार में जन्म, फिर वकालत के क्षेत्र में सुप्रीम कोर्ट तक परचम, राजस्थान की राजनीति में मचाया धमाल और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने से लेकर अब उपराष्ट्रपति तक का सफर.. जानिए NDA प्रत्याशी जगदीप धनखड़ की पूरी कहानी…

जब भाजपा ने राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रुप मे जनजातीय समुदाय से आने वाली महिला प्रत्याशी के रूप में द्रौपदी मूर्मु के नाम की घोषणा की थी तभी से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नामों पर चर्चा तेज हो गई थी। सब इसी सोच में उलझे थे कि NDA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा क्या वह पिछङा वर्ग से होगा, अल्पसंख्यक होगा वगैरह वगैरह कुछ नाम पर चर्चा का बाजार भी काफी गर्म था कभी केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद पर कयास लगाए जा रहे थे तो कभी पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी पर लेकिन इन सभी सवालों पर आज विराम लग गया जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एनडीए गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद प्रत्याशी के रूप में जगदीप धनखड़ का नाम लिया, जी हां वर्तमान में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप मे पदस्थापित जगदीप धनखड़ को NDA गठबंधन ने अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया हैं।

वर्तमान में जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल हैं

जगदीप धनखड़, ममता बनर्जी एवं धनखड़ की पत्नी

जगदीप धनखड़ वर्तमान में पश्चिम बंगाल में राज्यपाल हैं 30 जुलाई 2019 को भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी के द्वारा उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। राज्यपाल बनने के बाद वह काफी सुर्खियों में भी रहें अपने बयानों और कुछ अनुशासनात निर्णय की वजह से, चूंकि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का शासन है और वहां राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं विचारधारा मतभेदों के कारण ममता से धनखड़ की हमेशा से ठनी रही कभी बनी हैं। इस दौरान उनकी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से घनिष्ठता और भी बढ़ी शायद यह दोनों एक अहम कारण हों सकते हैं जिनका उन्हें यह इनाम मिला।

जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

जगदीप धनखड़ का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान के झूंझनू जिलें के किठाना गांव में 18 मई 1951 में हुआ था। उनके माता पिता का नाम स्वर्गीय गोकल चंद और केसरी देवी हैं। उनका जन्म एक किसान परिवार में हुआ। वह तीन भाई और एक बहन है, वह राजस्थान के जाट समाज से आते हैं। उन्होंने कक्षा 1 से कक्षा 5 तक की पढ़ाई प्राथमिक सरकारी विद्यालय किठाना से की आगे की शिक्षा के लिए वह 1962 में सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ चले गए। उसके बाद उन्होंने जयपुर के महाराज कॉलेज से भौतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की तथा उसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की।

वकालत, करियर और सामाजिक क्षेत्र

पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने वकालत की शिक्षा को अपने आगामी करियर के रूप में आगे बढ़ाने की सोची वह वकालत करते करते देश के शीर्ष एवं अग्रणी वकीलों की सूची में शामिल हुए। वह राजस्थान हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करते थे,1987 में वह सबसे कम उम्र के राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने गए। 1988 में वह राजस्थान बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य बने। इन्होंने सामाजिक क्षेत्र में भी काफी उत्कृष्ट कार्य किया एवं राजस्थान में जाटों को आरक्षण दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई थी।

राजनीतिक जीवन कैसा रहा।

साल 1989 में जगदीप धनखड़ ने राजनीति में प्रवेश किया एवं भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झूंझनू लोकसभा से चुनाव लड़ें और जीत कर पहली बार संसद तक का सफर तय किया। 1990 में चंद्रशेखर के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार में केन्द्रीय मंत्री बने और जब पी०वी० नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने कांग्रेस में जाना मुनासिब समझा और अजमेर लोकसभा सीट से उसी साल चुनाव लङा लेकिन यहां हार का सामना करना पड़ा। 1993-1998 तक वह कांग्रेस पार्टी से ही अजमेर की किशनगढ़ सीट से विधायक रहे। लेकिन जब राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत का प्रभाव बढ़ने लगा तब जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस से किनारा किया एवं साल 2003 में वह भाजपा में शामिल हों गयें एवं जल्दी ही वसुंधरा राजे के करीबी नेताओं की सूची में भी अपना स्थान बना लिया। इसके बाद 30 जुलाई 2019 को उन्होंने पश्चिम बंगाल के 28वें राज्यपाल के रूप में अपना कार्यभार संभाला और अब वह उपराष्ट्रपति पद के लिए NDA उम्मीदवार के रुप में नामित किए गए

बतौर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहते हुए इनके विवाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से हमेशा सुर्खियों में छाई रही।एक कार्यक्रम में उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिमी बंगाल में लोकतंत्र नहीं हैं बल्कि एक शासकीय राज हैं। पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान और चुनाव जीतने के बाद जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्याएं होती रही उन सभी मुद्दों पर भी जगदीप धनखड़ ने बेबाकी से मुखङ हो कर अपनी बातों को सबसे साझा किया एवं ममता सरकार के विरोध में खड़े रहे। ममता सरकार की ग़लत नीतियों एवं सरकारी तंत्रों में हो रही पदाधिकारियों की कर्तव्य अनियमितता पर भी वह सोशल मीडिया पर सदैव सरकार के खिलाफ खङे दिखें, अपने सरकारी तंत्रों के विरुद्ध उजागर होते इन कलापों को देखते हुए ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को Twitter पर ब्लांक कर दिया तथा राष्ट्रपति से उनके बदलाव की भी मांग कर डाली।

उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 19 जुलाई को होगी, मतदान की तारीख 6 अगस्त को हैं एवं शपथ ग्रहण समारोह 11 अगस्त को होंगी।

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