एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक मौलाना ने मुस्लिम समाज में देहदान किए जाने के खिलाफ फतवा जारी कर दिया है। मौलाना हनीफ बकराती ने कहा है कि मरने के बाद शरीर दान करना इस्लाम में नाजायज और अल्लाह की मर्जी के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि ऐसा करना किसी गुनाह से कम नहीं है। मौत के बाद देहदान किए जाने पर न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए मौलाना ने कहा कि जो शख्स अल्लाह के बनाए गए नियमों का पालन नहीं करता है उसके मुसलमान होने पर शक है।
कानपुर स्थित रामा डेंटल कालेज के महाप्रबंधक डॉ.अरशद मंसूरी ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज के छात्रों के शोध हेतु अपने शरीर को दान करने की घोषणा की थी, जिसके बाद कई लोग उनका विरोध कर रहे हैं।
मंसूरी के देहदान की घोषणा किए जाने के बाद एक शख्स ने मदरसा एहसानुल मदारिस के इफ्ता विभाग से पूछा कि क्या मरने के बाद क्या किसी डॉक्टर या संस्थान को जिस्म दान किया जा सकता है? इस पर मदरसे के मुफ्ती हनीफ बरकाती ने फतवा जारी किया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, फतवे में कहा गया है कि मरने के बाद यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति अपना शरीर किसी डॉक्टर या संस्थान को दान करता है तो इसे गुनाह माना जाता है। एक मदरसे के स्तर पर एक मुफ्ती की ओर से जारी किए गए इस फतवे के को फिलहाल उच्च स्तर पर जांच कराने के लिए देवबंद भेजा गया है।