प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण को देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का दूसरा ‘मील का पत्थर’ बताते हुए इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी। आपको बता दें कि कोउरू दक्षिणी अमेरिका के पूर्वोत्तर तट स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है।
जीसैट-18 क्यों है महत्त्वपूर्ण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित जीसैट 18 इसरो के 14 संचालित उपग्रहों के बेड़े को मजबूत कर भारत के लिए दूरसंचार सेवाएं प्रदान करेगा। जीसैट 18 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला इसरो का 20वां उपग्रह है और एरियनस्पेस प्रक्षेपक के लिए यह 280वां मिशन है।
अपने भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एरियन 5 रॉकेट पर निर्भर इसरो इस उद्देश्य के लिए जीएसएलवी एमके 3 विकसित कर रहा है और प्रक्षेपण के समय 3,404 किलोग्राम वजन रखने वाला जीसैट 18 नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और केयू बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है ।
आज मौसम साफ होने के साथ ही एरियन-5 वीए-231 भारतीय समयानुसार तड़के करीब दो बजे रवाना हुआ और जीसैट 18 को लगभग 32 मिनट की उड़ान के बाद कक्षा में भेज दिया। उपग्रह जीओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया गया। इसरो द्वारा मिशन की घोषणा के बाद जीसैट 18 को फ्रेंच गुयाना के कोउरू से एरियन 5 वीए-231 के जरिए सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया गया।
गौरतलब है कि उपग्रह के सफल प्रक्षेपण की घोषणा करते हुए एरियनस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन इस्राइल ने ट्वीट किया है,” हमें इसरो के साथ अपने मजूबत संबंधों पर गर्व है। आज रात 20वां उपग्रह भेजा गया। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी के लिए प्रक्षेपित बधाई।” जानकारों की मानें तो भारत जिस तेजी से अंतरिक्ष में अपनी जगह बना रहा है उससे एक बात तो निश्चित है कि आने वाले दिनों में भारत और मजबूती से परिणाम प्राप्त करेगा ।