एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
नए आतंकियों की भर्ती के लिए हिजबुल मुजाहिद्दीन सहित अन्य आतंकियों के निशाने पर इन दिनों जम्मू-कश्मीर के उच्च शिक्षण संस्थान हैं, आतंकी संगठन उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले उन छात्रों एवं शिक्षकों अपना निशाना बना रहे हैं। जो न केवल अच्छे परिवारों से ताल्लुक रखते हैं बल्कि अच्छे स्कॉलर भी हैं।
8 जुलाई को हिजबुल ने 8 और लश्कर-ए-तैयबा ने 2 आतंकी बने युवाओं की सूची जारी की थी, इन आतंकियों में एक नाम शोपियां के 25 वर्षीय शमशुल हक मेंगनू का भी था। शमशुल श्रीनगर के जकूरा स्थिति एक मेडिकल कॉलेज में बैचलर आफ यूनानी मेडिसिन एण्ड सर्जरी (BUMS) का छात्र था। आतंकी बने इस छात्र का बड़ा भाई असम – मेघालय कैडर का आईपीएस अधिकारी भी है।
जम्मू-कश्मीर में तैनात एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, कश्मीर के को बर्बाद करने में तुले आतंकी संगठन हर महीने एक पेशेवर को आतंक की दुनियां में ढकेलने का मंसूबा पाले हुए हैं। बीते छह महीनों में चार ऐसे आतंकियों के नाम सामने आ चुके हैं, जो या तो उच्च शिक्षित हैं या किसी नेक पेशे से जुड़े रहे हैं।
कुपवाड़ा का रहने वाला मनन बशीर बानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का छात्र था। वह अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ हिजबुल का दामन थाम लिया था। इसके बाद मार्च में, तहरीक-ए-हुरियत के चीफ मोहम्मद अशरफ शेहराई के 26 वर्षीय बेटे जनैद अहमद खान के आतंकी बनने की बात सामने आई थी।
सुरक्षाबल के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उच्च शिक्षण संस्थान में पढ़ने बाले बच्चों को धर्म के नाम पर बरगला कर आतंक की पहली सीढ़ी चढ़ाई जाती है, जिसमें उसने सिर्फ मजिस्द में नजाम पढ़ने और धार्मिक आयोजनों में शिकरत करने को कहा जाता है। इन्हीं धार्मिक आयोजनों के दौरान छात्रों का ब्रेनवाश शुरू कर दिया जाता है।
ब्रेनवॉश के दौरान, छात्रों को आधुनिक शिक्षा छोड़ कर धार्मिक शिक्षा की तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है, इसी तरह, आतंकी ने श्रीनगर के 14 साल के मासूम सोफी को बरगला कर कुख्यात आतंकी दाउद बना दिया था। आतंकियों ने सोफी की स्कूल छुड़वाकर धर्म का चोला पहले आतंक के स्कूल में दाखिल कराया था। इस स्कूल से उसे आतंक की दुनियां में भेजा गया था।