शिखा पाण्डेय,
पटेल आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल नौ महीने की जेल के बाद अब जेल से बाहर आने वाले हैं। गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को विसनगर के एक विधायक के कार्यालय में हिंसा से संबंधित एक मामले में जमानत मंजूर कर हार्दिक की रिहाई का रास्ता खोल दिया है।
आज हार्दिक के जेल से बाहर आने की उम्मीद है। हालांकि हार्दिक को अगले छह महीने गुजरात के बाहर बिताने होंगे, क्योंकि शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने हार्दिक को देशद्रोह के दो मामलों में इसी शर्त पर जमानत दी थी। खबरों की मानें तो अगले 6 महीने हार्दिक उत्तर प्रवेश में रह सकते हैं।
कांग्रेस ने संभावित रिहाई को ‘‘लोकतंत्र के लिए अच्छा” बताया, जबकि भाजपा ने कहा कि उनकी जमानत का विरोध नहीं करने के उसके फैसले के कारण वह जेल से बाहर आ पाएंगे और उन्हें आंदोलन के आपसी सहमति वाले समाधान की उम्मीद है। हालांकि अदालत ने शर्त लगाई है कि हार्दिक विसनगर कस्बे के जिले मेहसाणा में मामले की सुनवाई पूरी होने तक घुस नहीं पाएंगे। अदालत ने यह भी कहा कि हार्दिक नौ महीने बाद इस शर्त में संशोधन का अनुरोध कर सकते हैं और अदालत उस समय उनके आचरण के आधार पर उचित आदेश पारित करेगी।
हार्दिक के वकील जुबिन भारदा ने कहा कि वह सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद कुछ दिन में जेल से बाहर आने वाले हैं। न्यायमूर्ति पीपी भट्ट ने हार्दिक की जमानत इसीलिए मंजूर की क्योंकि राज्य सरकार ने उनके आवेदन का विरोध नहीं किया।
उल्लेखनीय है कि 22 वर्षीय हार्दिक अभी सूरत की लाजपुर जेल में बंद हैं। वह अक्तूबर 2015 में गिरफ्तार हुए थे। उन्होंने अपने पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व किया था। हार्दिक पर पटेलों को ओबीसी आरक्षण की मांग स्वीकार करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए हिंसा भड़काने का आरोप है।