अनुज हनुमत
लखनऊ। पूरे उत्तरप्रदेश में मिशन ‘ग्रीन यूपी-क्लीन यूपी’ के तहत अखिलेश सरकार ने 24 घण्टे में 5 करोड़ पौधे लगाकर विश्व रिकार्ड बनाने का संकल्प लिया। जिसके तहत पूरे प्रदेश में दिनभर आला अधिकारियों का काफिला दौड़ता रहा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव ने भी पौधारोपण किया। इतने बड़े पैमाने पर पौधरोपण का संकल्प तो काबिलेतारीफ है, लेकिन इस पूरी योजना को गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज करानेे की जल्दी के चक्कर में यूपी की मौजूदा अखिलेश सरकार से कुछ ऐसी गलतियां हो गई, जिसके कारण उनका ये मिशन पूरा होने के बावजूद भी फीका ही रहा।
करोड़ों पौधे लगाने के बावजूद भी राज्य सरकार से सूबे की जनता मिशन से निराश ही दिखी। इस मिशन के दौरान सबसे बड़ी दिक्कत ये भी देखने को मिली कि दिनभर ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों को अपना ड्यूटी स्थल ढूँढने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आज इस मिशन को पूरा करने के लिए लगभग सभी राज्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी। वन विभाग भी लगातार कई हफ़्तों से पसीना बहा रहा था और उसका कहना था कि हमारी तैयारी पूरी है। लेकिन आज विभाग की तैयारियों की सारी पोल तब खुल गई, जब ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को घंटो अपना ड्यूटी स्थल ढूंढने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। महिलाओं की ड्यूटी सूदूर जंगली क्षेत्रों में लगाई गई जबकि ऐसा अनुचित है। प्रदेश में कई जिले ऐसे हैं, जहाँ के जंगल काफी खतरनाक हैं, ऐसे में महिलाओं की ड्यूटी सूदूर जंगली क्षेत्रों में लगाना एक गलत कदम था। जिसके कारण कइयों को अपना ड्यूटी स्थान भी नहीं मिला और कइ तो ड्यूटी स्थल ढूढ़ने के दौरान चोटिल हो गए।
जिन आला अधिकारीयों की ड्यूटी लगी थी उन्हें भी सड़कों से सटे स्थानों में ही निरीक्षण करते पाया गया। इन अधिकारियों से जब कोई कर्मचारी अपने ड्यूटी स्थल के बारे में पूछता, तो उन्हें भी उस स्थान की कोई खास जानकारी नहीं रहती। उनका कहना था कि जंगल के रास्ते और स्थान हमें नही पता, तो हम कैसे बता दें। कुल मिलाकर इतना बड़ा मिशन गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल होने की जल्दी से ज्यादा कुछ और नहीं लग रहा था। इतने बड़े मिशन के लिए किसी प्रकार की कोई ट्रेनिंग नही कराई गई।
विशेषज्ञों की मानें तो ये पौधारोपण सिवाय विश्व रिकार्ड बनाने के कुछ और नही था, क्योंकि पौधे तो हर साल लगाये जाते हैं, लेकिन सिर्फ कागजों पर और इस बार पौधे लगाये तो गए हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा और देखभाल की कोई खास व्यवस्था नहीं की गई, जिससे यूपी की जनता का निःसन्देह आज तो संवर रहा है पर कल क्या होगा ? बहरहाल इस पूरे मिशन की सच्चाई तो कुछ दिनों में सामने आ ही जायेगी, लेकिन इतना तो स्पस्ट है कि अखिलेश सरकार आगामी चुनावी समर में इस ‘ग्रीन यूपी-क्लीन यूपी’ मिशन को अपने चुनावी ब्रह्मास्त्र के रूप में प्रयोग करेगी।