अमित द्विवेदी,
बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को हाजी अली दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अनुमति दे दी। दरगाह के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई थी। हाजी अली ट्रस्ट महिलाओं के प्रवेश की अनुमति को लेकर काफी नाराज़ है। हाजी अली ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।
पिछले कुछ समय से धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को लेकर आंदोलन जारी है। तृप्ति देसाई सहित कई अन्य समूहों ने भी इसका पुरजोर विरोध किया। पूजा स्थलों में महिलाओं के साथ होने वाले इस भेदभाव को लेकर काफी समय से महिलाओं की लड़ाई चल रही थी।
हाजी अली में प्रवेश के लिए महिलाओं ने भी मोर्चा खोल दिया था, जिसका हाजी अली ट्रस्ट पुरज़ोर विरोध कर रहा था। मुस्लिम महिलाओं के हक के लिए लड़ने वाला एक समूह भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन बीएमएमए हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रहा था। इस संगठन ने दरगाह में महिलाओं के प्रवेश को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर किया था। संगठन ने न्यायालय के समक्ष अपनी बात रखी कि इबादत के लिए महिलाओं को दरगाह में जाने से रोकना असंवैधानिक है। उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता।
इस मामले में दरगाह के ट्रस्टी का का कहना है कि किसी पुरुष मुस्लिम संत की कब्र पर महिलाओं का जाना इस्लाम में गुनाह है, इसलिए दरगाह के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी सही है। जबकि महिआलों का मानना है कि इबादत के लिए किसी पर पाबन्दी लगाना सही नहीं है।