सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
उत्तर प्रदेश पुलिस हमेशा ‘जिसकी लाठी, उसकी भैंस’ कहावत को चरितार्थ करती दिखाई देती है, अर्थात जिसकी सत्ता, उसकी पुलिस। जी हां! उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर बलात्कार का आरोप लगानेवाली महिला ने उत्तर प्रदेश पुलिस के दोहरे बर्ताव की पोल खोली है।
पीड़िता ने यूपी पुलिस द्वारा मामले को गंभीरता से न लेने और मुकदमा दर्ज ना करने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तब जाकर कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश किया और तब गौतमपल्ली थाने में गायत्री प्रजापति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
गायत्री प्रजापति की गिरफ़्तारी के बाद पीड़िता ने अपनी दर्दभरी दास्ताँ सुनाई, पीड़िता पूरे प्रकरण पर कई लोगों के क्रियाकलापों पर सवाल उठाये, पीड़िता ने एक इंटरव्यू के दौरान पूरे मामले में कई राज खोले। उसने कहा कि गायत्री प्रजापति ने मेरे साथ गैंगरेप किया और गन्दी-गन्दी तस्वीरें निकालीं। गायत्री के साथ दो लोग और भी थे।
पीड़िता के मुताबिक दुष्कर्म के बाद उसे धमकाया गया था। उसने कहा, “उन लोगों ने मेरी बेटी का यौन शोषण किया। मेरी बेटी एकदम असहज हो गई थी और वो जिन्दा नहीं रहना चाहती थी। मेरी बेटी के साथ जो कुछ हुआ, मैं उसे सहन करने में असमर्थ थी।”
पीड़िता ने यूपी पुलिस की दबंगई बयां करते हुए बताया, “पुलिस ने कहा कि सरकार उनकी है और आरोपी सरकार में मंत्री है। पुलिस आरोपी की हिमायत में लगी हुई थी। मैंने मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, मुझे धक्का देकर बाहर किया गया था। ऐसे में हमारे पास सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा था, अंत में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही इस मामले में मुकदमा दर्ज हो सका।”
पीड़िता ने कहा, “जो पुलिस सपा के शासन में गायत्री को नहीं पकड़ पायी, सरकार बदलते ही पुलिस ने गायत्री प्रजापति को पकड़ लिया! अखिलेश यादव और उनकी सरकार से कोई उम्मीद ही नहीं रह गई थी। यूपी पुलिस पर भी बिलकुल यकीन नहीं है। महिला ने कहा कि अब नयी सरकार से उन्हें न्याय व सुरक्षा की पूरी उम्मीद है। उसने कहा, “हमारी बेटी और हमारे मददगार सुरक्षित रहें। नयी सरकार से यही उम्मीद करती हूँ कि दोषी गायत्री प्रजापति को कड़ी सजा मिले।
उल्लेखनीय है कि कई दिनों तक फरार रहने वाले प्रजापति के साथियों को पुलिस पहले ही दबोच चुकी थी, लेकिन गायत्री प्रजापति की गिरफ़्तारी 15 मार्च को हुई। भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच गायत्री प्रजापति को कोर्ट में पेश किया गया था। उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पूर्व में अखिलेश यादव ने भ्रष्टाचार के आरोप में गायत्री प्रजापति को कैबिनेट से बर्खास्त भी कर दिया था, लेकिन मुलायम सिंह यादव के दबाव में फिर से मंत्रालय दे दिया गया।