प्रमुख संवाददाता,
दादरी काण्ड का मामला एक बार फिर तूल पकड़ता नज़र आ रहा है। जांच रिपोर्ट में अख़लाक़ के घर में बीफ मिलने की पुष्टि के बाद गोरखपुर से भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने इस हत्या के केस में गिरफ्तार 18 आरोपियों की रिहा करने की मांग की है। यही नहीं आदित्यनाथ ने अखलाक के परिवार से मुआवजा और फ्लैट वापस लेने की भी मांग की है।
उल्लेखनीय है कि मथुरा फोरेंसिक लैब की जांच रिपोर्ट में पाया गया कि अख़लाक़ के घर से जो मांस मिला था, वो बीफ ही था। कोर्ट के आदेश के बाद फोरेंसिक लैब की जांच रिपोर्ट को मंगलवार को सार्वजनिक किया गया था। रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद से राजनेताओं की ज़ुबानी रस्साकसी दोबारा शुरू हो गई।
आदित्यनाथ ने सपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस जांच रिपोर्ट ने धर्मनिरपेक्षता और विपक्षी दलों की पोल खोल दी है। रिपोर्ट आने के बाद अब आरोपियों के परिवार का कहना है कि पूरे मामले की नए सिरे से सीबीआई जांच की जाए और असल अपराधियों के खिलाफ़ गोहत्या का मामला दर्ज़ किया जाए।
गौरतलब है कि दादरी में हुई घटना में अख़लाक़ नामक एक शख्स की मौत हो गई थी, जिसके बाद हत्या के आरोप में 18 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दादरी की घटना को असहिष्णुता और बीफ बैन से जोड़कर काफी विरोध किया गया था। इतना ही नहीं मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए साहित्यकारों और फिल्म मेकर्स समेत कई लोगों ने सरकारी अवॉर्ड लौटाए थे और इसका एक क्रम बन गया था। घटना के बाद गांव में कई दिनों तक तनाव के हालात रहे थे जिसके बाद यहां पीएसी की कंपनी तैनात करनी पड़ी थी। अखिलेश सरकार ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये के मुआवजे का एलान भी किया था।
अब फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह साबित हो गया है कि दादरी के बिसहाड़ा की हुई घटना में मारे गए अख़लाक़ के घर में जो मांस था वह बीफ ही था। कानूनन उत्तर प्रदेश में बीफ काटने पर पाबंदी है लेकिन यदि कोई बाहर से लाकर बीफ खाता है तो उसपर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा की दादरी काण्ड के बाद असहिष्णुता के नाम पर छाती पीटकर रोनेवालों की ज़ुबान खुलती है या नहीं।