मथुरा के जवाहरबाग में गुरुवार की शाम हुई हिंसा के मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। उसके शव की शिनाख्त कर ली गयी है और उसे अब मृत घोषित कर दिया गया है। यूपी के डीजीपी जावेद अहमद ने इस बात की पुष्टि की है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक रामवृक्ष के परिवार को पुष्टि के लिये बुलाया गया है।
पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) एसआर शर्मा ने कहा कि अतिक्रमणकारियों द्वारा किए गए गैस सिलेंडर विस्फोटों से लगी आग में जिन 11 लोगों की मृत्यु हुई, उनमें यादव शामिल था। आईजी (आगरा) दुर्गाचंद्र मिश्रा ने बताया कि तीन और घायलों की मौत के बाद मृतक संख्या 27 हो गई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी विवेक मिश्रा ने बताया कि अभी तक कई शवों की पहचान नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि शवों को 72 घंटे शवगृह में रखना होगा और यह समय रविवार की शाम को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा। मिश्रा के अनुसार 18 शव मथुरा जिला केंद्र में हैं और 7 आगरा में हैं। शहर में कड़े सुरक्षा इंतजाम हैं जहां पुलिस ने भाजपा सांसद हेमा मालिनी को भी हिंसा प्रभावित इलाके में जाने से रोक दिया। इस हिंसक घटना में एक एसपी और एक एसएचओ समेत अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब दो दर्जन पुलिसकर्मी और कई उपद्रवी भी घायल हुए हैं।
यूपी पुलिस के ऑपरेशन जवाहर बाग के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। जवाहर बाग के जिस सैकड़ों एकड़ जमीन पर रामवृक्ष और उसकी गैंग के लोगों ने कब्जा कर रखा था, वहां से बड़े पैमाने पर हथियारों का जखीरा बरामद किया गया। गुरुवार को जब पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने का प्रयास किया तो हिंसा भड़क गई।
गौरतलब है कि जवाहरबाग में सिर्फ दो दिनों के लिए रहने की इजाजत मांगने वाला रामवृक्ष इस जगह पर कब्जा जमाए बैठा था। कई जिलों से उसने लोगों को बुला रखा था। इस बाग में कई जगह झोपड़ी बना रखी थी। उसके नेतृत्व में 500 करोड़ रूपए की उस भूमि पर 3000 लोग रह रहे थे और वे हथियार से लैस थे।