देश का दूसरा ‘चम्बल’ बन सकता है देश का बड़ा पर्यटन केंद्र

बड़ा पर्यटन केंद्र
चम्बल’ बन सकता है देश का बड़ा पर्यटन केंद्र

अनुज हनुमत | Navpravah.com

हमारी टीम ने खोजी देश की दूसरी चम्बल घाटी। ये न सिर्फ खतरनाक घाटी है बल्कि डकैतों की शरणस्थली भी है। बेधक का ये दुर्गम स्थान बेधक जंगल ,बेधक घाटी और बेधक के प्रसिद्ध हनुमान मंदिर आदि नामों से जाना जाता है। चाहे दस्यु सम्राट ददुआ रहा हो, या अब मौजूदा समय में सूबे का दुर्दांत डकैत बबुली कोल -इन सबकी मुफीद जगहों में से एक रहा है बेधक। ये घाटी अपने दो रूपों के लिए हमेशा जानी जाती रही है।

एक तो सैकड़ो वर्ष पुराना प्रसिद्द हनुमान मन्दिर और दूसरा डकैतो की शरणस्थली। जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर कर्वी -मानिकपुर संपर्क मार्ग से होते हुए निही गाँव के रास्ते सूदूर जंगल में स्थित ये घाटी अदभुत प्राकृतिक एवं मनोरम दृश्य से सुसज्जित है। बेधक घाटी का वर्णन शब्दो के माध्यम से करना उतना ही कठिन है जितना की सूरज को दिया दिखाने के सामान है। विन्ध्य पर्वत श्रृंखला से जुडे इस घनघोर जंगल को बेधक घाटी के नाम से जाना जाता है। यह स्थल चित्रकूट के पूर्वी दिशा पाठा क्षेत्र मे स्थित है, यहां की प्राकृतिक संरचनाएं लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं, कई आकार की यहां विशाल चट्टानें देखने को मिलती हैं।

इस घाटी पर पूर्व मुखी बेधक नाथ (हनुमानजी) की मूरत विराजमान हैं जो प्राचीन काल से लोगों के आस्था का केंद्र रहे हैं। उंची-उंची आकर्षक पहाड़ियों, चट्टानों से बारहों महीने जल धारा बहती रहती है। घाटी पर स्थित बेधकनाथ मंदिर के तीनों तरफ से काफी उंची अरी हैं, जिन आरियों से हमेशा पानी गिरता हैं, मंदिर के पूर्वी उत्तर दिशा के दोनों आरियों से मनमोहक जल धारा बहती है।

इस स्थान जाने के लिए दो कच्चे मार्ग है पहला मप्र सतना के प्रतापुर से व चित्रकूट उप्र के मानिकपुर कच्चा रास्ता गया है। प्रतापुर से आने वाले श्रद्धालुओं के आने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा हर वर्ष मजबूत लकड़ी की सीढी का निर्माण किया जाता है जिससे यहां तक आसानी से पहुंचे सकें। श्रध्दालु अपनी आस्था लिए इन दुर्गम मार्गों का सफर करते हुए बेधकनाथ धाम पहुंचते हैं। दस्यु प्रभावित घनघोर जंगल डकैतों के खौफ होने के बावजूद भी लोगों की आस्थाओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। इस स्थान पर अषाढ़ व कार्तिक माह मे ज्यादातर लोग भंडारे का आयोजन करते हैं।

बताया जाता है मंदिर के नीचे से एक गुफा है उस गुफा के रास्ते का अंत आज तक कोई नहीं ढूंढ सका, यहां बारिश के मौसम मे देश के दूर-दूर के धार्मिक क्षेत्रों से साधु संत आते हैं जिनका मानना है, इस गुफा का रास्ता चित्रकूट के गुप्त गोदावरी मे समाप्त होता है, बताते हैं राक्षसों का जब आतंक था तब ऋषि- मुनि इसी मार्ग से आते-जाते थे। बुजुर्गों का मानना है इस गुफा का अंत जानने के लिए कई बार कोशिश की गई लेकिन गुफा का अंत नहीं मिल सका।

युवराज राम के राजा श्री राम बनाने वाली परम धाम चित्रकूट की धरती कला और संस्कृति के साथ मनुष्य जीवन के लिए लक्ष्य और मोक्ष्य के साधकों से पुराना नाता है। इतिहास मे घटी घटनाओं के साक्षी रहे इस धरती के स्थलों की महिमा को विश्व पटल पर रखने और मानव सभ्यता के विकास की इन महत्वपूर्ण धरोहरों को संरक्षित करने की परम आवश्यकता है। बेधक घाटी तक पहुंचना बहुत कठिन है । रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण्य होने के कारण यहाँ का रास्ता बहुत ज्यादा उबड़ खाबड़ है । यहाँ तक पहुंचने के लिए ट्रेक्टर और दो पहिया ही सवोत्तम विकल्प है ।

वर्तमान में बेधक घाटी में आधा दर्जन गुफा मौजूद हैं । आस पास के क्षेत्रवासियों का मानना है कि इन गुफाओं का निकास स्थान किसी अन्य जिलों (सतना ,चित्रकूट ,रीवा) में होकर निकलता है । स्थानीय मान्यता के अनुसार यहाँ स्थित हनुमान मंदिर में मौजूद मूर्ति सैकड़ो हजारो वर्ष पुरानी है । कहा जाता है कि ये मूर्ती काफी शक्तिशाली (शक्ति का के केंद्र) है ।

वर्ष में दो बार यहाँ स्थानीय ग्रामीणों द्वारा कीर्तन के साथ भंडारे का आयोजन किया जाता है । बेधक घाटी का पूरा क्षेत्र चारो तरफ से विंध्य की पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है । अमूमन इस घाटी में सूरज की किरणें एक पहर के बाद ही नसीब होती है । घाटी के ऊपरी भाग से गिरता हुआ जलप्रपात बेधक की खूबसूरती में चार चाँद लगाता है ।

इस झरने का पानी कभी खत्म नही होता जो की शोध का विषय है । घाटी के एक हिस्से में ग्रामीणों द्वारा सीढियाँ लगाकर आवागमन का दुर्गम एवं जटिल मार्ग बनाया गया है । ये मार्ग लकड़ी की मजबूत बल्लियों द्वारा पेड़ो की टहनियों से बांधकर बनाया गया है । इस मार्ग का प्रयोग नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे आने जाने में प्रयोग किया जाता है । सबसे खास बात ये है कि ये मार्ग एक जिले से दूसरे जिले में जाने का खतरनाक मार्ग है जो की आदिवासियों द्वारा बनाया गया है ।

डकैतों की शरणस्थली ‘बेधक घाटी’ – बुन्देलखण्डवासी खासकर धर्मनगरी चित्रकूट में अगर किसी से बेधक का जिक्र किया जाये तो सिर्फ ये नाम ही लोगों के चेहरे पर खौफ और आतंक का की लकीरें खींच देता है । दशकों तक उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई जिलों में आतंक का पर्याय रहे दस्यु सम्राट ददुआ की सबसे पसंदीदा जगहों में से एक रहा बेधक का दुर्गम जंगल ।

बीते कई दशक से ये जंगल और इसकी दुर्गम घाटी डकैतो के लिए संजीवनी साबित हुई है । इस घाटी में खाकी के भी सीने धड़कने लगते हैं क्योंकि यहाँ की झाड़ियां और चट्टानें इतनी खतरनाक है कि आगे एक फ़ीट तक भी देखना काफी खतरनाक होता है ।

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