अनुज हनुमत,
वैसे तो लखनऊ में दशहरे के विशेष कार्यक्रम में शामिल होकर प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने चंद महीनों बाद होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए अपना चुनाव अभियान शुरू कर दिया था, इसी कड़ी में यूपी में उनका अगला पड़ाव आगामी 24 तारीख को बुन्देलखन्ड होगा। वहाँ वे महोबा में एक विशाल महारैली को संबोधित करेंगे। लेकिन इस बार उनके सामने चुनौतियाँ कम नही होंगी क्योंकि इस बार उनके सामने ‘सूखे और बाढ़ से तबाह हुआ किसान’ होगा, जो अभी भी सरकारी सहायता की आस लगाये बैठा है ।
दरअसल, अगर उनकी पार्टी के नेताओं, खासकर बुन्देलखण्ड के चारों सांसदों की बात करें, तो पिछले ढाई साल के कार्यकाल में किसानों के दुःख दर्द के सामने सभी का आत्मविश्वास बौना ही नजर आया है। लोकसभा में सभी ने किसानों के एकाध मुद्दे तो मजबूती से उठाये, पर दिल्ली से ऐसी कोई योजना नहीं ला सके जो किसानों का दर्द कम कर सके और न ही इनके द्वारा ऐसे कोई भी ठोस प्रयास किये गए जो सूखे और बाढ़ के समय किसानों के आंसू पोछने के काम आ सकें।
आपको बता दें की कुछ ही महीनों में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में सभी पार्टियों की नजर बुंदेलखंड के क्षेत्र पर है जहाँ अभी भी समस्यायों का अम्बार लगा है। कुछ किसानों से हमने बात की तो उन्होंने कहा , “बाबूजी ! अब चुनाव का समय आवत है तौ सबै का हमार याद आई, लेकिन कौनों हमार सहायता नाहीं करत।”
हमने जब बुन्देलखण्ड के कुछ समाज सेवियों से बात की, तो उन्होंने भी हमें बताया कि हर पांच साल बाद यूँ ही सभी को चुनावी बयार के समय बुन्देलखण्ड की याद आती है। कहीं न कहीं वोट का मामला होता है ।कुछ ने कहा कि हम चाहते हैं कि अपने घण्टे भर के भाषण में प्रधानमंत्री जी ज्यादातर समय किसानों के नाम दें। साथ में ये भी बतायें कि क्या उनकी सरकार के पास बुन्देलखण्ड के विकास के लिए कोई ठोस मॉडल है या यहाँ की जनता को सिर्फ गरीबी और भुखमरी में ही अव्वल दर्जा प्राप्त होता रहेगा।
बुन्देलखण्ड की सबसे ख़ास बात यह है कि वहां बेइंतहा खनिज सम्पदा है, लेकिन सब खनन माफियों द्वारा लूटा जा रहा है जिसमें ज्यादातर सफेदपोशों का हाथ है। गौरतलब है कि पिछले तीन दशकों से बुन्देलखण्ड में भयंकर सूखा पड़ रहा है और इस बार तो बाढ़ ने सब बर्बाद कर दिया है। बुन्देलखण्ड के अधिकांश किसानों को आशा है कि प्रधानमन्त्री जरूर उनकी मदद करेंगे और उनके दर्द को समझेंगे ।
अभी हाल ही में राहुल गांधी अपनी ‘देवरिया से दिल्ली तक किसान यात्रा’ के दौरान बुन्देलखण्ड आये थे और उन्होंने कहा था कि अगर यूपी में कांग्रेस की सरकार आई तो किसानों का कर्ज माफ़ होगा। राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के दौरान लगभग हर जगह कहा कि प्रधानमन्त्री जी के पास बड़े बड़े उद्योगपतियों के कर्ज माफ़ करने के लिए रूपये हैं, लेकिन बस किसानों के लिए नहीं हैं । ऐसे में केन्द्र की मोदी सरकार के सामने किसानों की कर्जमाफी को लेकर जबरदस्त दबाव है ।