जाफरी के गोली चलाने से भड़क गयी भीड़, जिसके कारण हुई सारी हत्याएं

स्पेशल रिपोर्ट 

अनुज हनुमत,

अहमदाबाद: 14 साल पहले गुजरात की गुलबर्ग सोसायटी में हुए नरसंहार में षड्यंत्र के किसी भी पहलू से इनकार करते हुए विशेष अदालत ने कल कहा कि कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी द्वारा चलायी गयी गोलियों ने भीड़ को उकसाया था, जिससे वह गुस्सा हो गयी और उन्होंने इस तरह हत्याएं कीं, लेकिन गोलीबारी के कारण भीड़ की इस करतूत को माफ नहीं किया जा सकता है।

विशेष एसआईटी अदालत के न्यायाधीश पी. बी. देसाई ने अपने आदेश में कहा कि , ‘‘ एहसान जाफरी की निजी गोलीबारी ने उत्प्रेरक का काम किया और उसने भीड़ को इस कदर उकसा दिया कि उपलब्ध सीमित पुलिस बल के पास ऐसी भीड़ को रोकने का कोई उपाय नहीं था। गोलीबारी की घटना के बाद वहां बड़ी संख्या में भीड़ जमा हो गयी।’’ जाफरी की बंदूक से आठ गोलियां चलीं, उनसे एक व्यक्ति की मौत हो गयी और 15 लोग घायल हो गए।

अदालत ने कहा, ‘‘एहसान जाफरी गुलबर्ग सोसायटी में एक अलग जगह से भीड़ पर गोली चलाने के दोषी हैं, जिसके कारण एक व्यक्ति की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गए। मेरे विचार में वह उत्प्रेरक था, जिसने भीड़ को इस कदर उकसा दिया कि वह अनियंत्रित हो गयी और उसके कारण हत्याएं हुईं, बड़ी संख्या में मासूमों की जान गयी।’’

घटना में षड्यंत्र के पहलू से इनकार करते हुए, अदालत ने कहा कि यह ‘‘अप्राकृतिक’’ है कि 28 फरवरी, 2002 को सुबह साढ़े नौ बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक कोई बड़ी अप्रिय घटना नहीं हुई, और डेढ़ बजे के बाद अचानक चीजें बहुत खराब हो गयीं जैसे ‘‘कोई नल खोल दिया गया हो, जिसके कारण पानी की बाढ़ आ गयी और नरसंहार का कांड हुआ।’’ अदालत ने कहा कि इन तथ्यों से किसी भी प्रकार से भीड़ ने जो किया उसकी कोई माफी नहीं हो सकती है।

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