राजेश सोनी | Navpravah.com
भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है, लेकिन भारत में इस समय गुरु (शिक्षक) बनना कतई आसान नहीं है। इसके पीछे की वजह है राज्यों द्वारा परीक्षार्थियों से टीचर्स एलेजिबिलिटी टेस्ट ( टीईटी) आवेदन के लिए वसूली जा रही मोटी फीस।
बता दें कि अध्यापक बनने के लिए पात्रता परीक्षा के रूप में आयोजित होने वाले टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट के आवेदन की फीस हरियाणा में सबसे ज्यादा है। हरियाणा में टीईटी के आवेदन के लिए एससी, एसटी और ओबीसी वालों से 500 रुपए लिए जाते हैं, वहीं जनरल केटेगरी वाले लोगों से 2400 रुपए तक वसूले जाते हैं। हरियाणा के बाद मध्य प्रदेश ऐसा राज्य है, जो टीईटी के लिए 1300 रुपए तक आवेदन फीस वसूलता है।
वहीं केंद्रीय विद्यालयों-केंद्रशासित प्रदेशों में शिक्षक पद के लिए सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट और अन्य राज्यों में टीईटी के आवेदन के लिए भी छात्रों को 300-1000 रुपये तक आवेदन फीस देने पड़ रहे हैं। भारतीय शिक्षाविद् जेएस राजपूत का कहना है कि उन्हें यह जानकर अचंभा हो रहा है कि सभी राज्यों में टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) के आवेदन की फीस अलग-अलग है। उनका कहना है कि बेरोजगार युवाओं से इतनी मोटी फीस लेना सरासर गलत है। शिक्षक बनने के लिए बीएड के बाद इतनी मोटी फीस जमा करने के बाद भी कोई गारंटी नहीं कि स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिल ही जाएगी।