भारत रत्न चौधरी चरण सिंह: विधायक से प्रधानमंत्री तक का सफर

नृपेंद्र कुमार मौर्या | navpravah.com

नई दिल्ली | देश के पूर्व पीएम और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह को सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मरणोपरांत चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है। बता दें कि नई दिल्ली में हुए कार्यक्रम में चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी ने ये सम्मान ग्रहण किया है। चौधरी चरण सिंह को सम्मान मिलने पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है।

किसान परिवार में जन्म-

चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानून में प्रशिक्षित चरण ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे 1929 में मेरठ आ गये और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।

1937 में पहली बार विधायक बने-

चरण सिंह सबसे पहले 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वे 1946 में पंडित गोविंद बल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया। बाद में 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।

सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में वे गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया। 1971 के लोकसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे। उस चुनाव में उन्हें सीपीआई के विजयपाल सिंह ने 50,279 वोट से हराया था। इसके बाद आपातकाल लगा, चुनाव टले। 1977 में जब चुनाव हुए तो चौधरी चरण सिंह मुजफ्फरनगर की जगह बागपत सीट से चुनाव में उतरे। इस चुनाव में उन्होंने 1,21,538 से बड़ी जीत दर्ज की। बाद में देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भी बैठे। एक और बात 1971 में चौधरी चरण सिंह को हराने वाले विजय पाल सिंह 1977 में अपनी जमानत तक नहीं बचा सके। उन्हें महज 8,146 वोट से संतोष करना पड़ा था। तब मुजफ्फरनगर सीट से लोकदल के सईद मुर्तजा जीतने में सफल रहे थे।

यूपी में मना जश्न-

नई दिल्ली में किसान नेता चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत भारत रत्न मिलने पर लखनऊ में हजरतगंज स्थित राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश कार्यालय पर कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाईयां खिलायी। राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ता हाथों में मिठाई का डिब्बा लेकर कार्यालय के बाहर निकले और लोगों में भी मिठाई बांटी।

राष्ट्रीय लोकदल के कार्यालय पर भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की मूर्ति पर माला पहना कर पार्टी कार्यकर्ताओं ने अपने नेता जयंत चौधरी को बहुत बहुत बधाई दी। इस अवसर पर प्रवक्ता अनिल दुबे ने कार्यकर्ताओं के सामने अपनी बातों को रखा।

प्रवक्ता अनिल ने कहा कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न मिला है, ये हम सभी के गौरवान्वित होने का पल है। यह एक ऐतिहासिक पल है। यह ‘भारत रत्न’ का सम्मान भारत के खेत-खलिहानों, मजदूर किसानों को मिला है।

प्रदेश कार्यालय पर जुटे कार्यकर्ताओं ने प्रवक्ता अनिल दुबे की भावनाओं पर सहमति जताते हुए अपनी बातों को भी रखा। राष्ट्रीय लोकदल के कार्यकर्ताओं ने चौधरी चरण सिंह को नमन करते हुए किसानों, मजदूरों, खेतीहर का सच्चा सिपाही बताया और उनकी मूर्ति पर पष्प अर्पित किये।

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