शिखा पाण्डेय,
भोजपुरी में कहावत है, “कौवा से कवेलवा (कौवे का बच्चा) चंलाक”। समाजवादी पार्टी की राजनीति में भी फ़िलहाल यही कहावत सार्थक होती नज़र आ रही है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तरप्रदेश की जनता के दिल दिमाग पर अपनी ऐसी छवि अंकित कर दी है कि सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव की छवि धूमिल पड़ गई है। अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को लोकप्रियता के मामले में काफी पीछे छोड़ दिया है।
एक सर्वेक्षण एजेंसी ने उत्तर प्रदेश में एक महीने में दो सर्वे किए। सर्वे के मुताबिक मतदाताओं के बीच अखिलेश की लोकप्रियता अच्छी खासी बढ़ी है। इस सर्वे में वोटरों ने ‘पुत्र’ अखिलेश यादव को ‘पिता’ मुलायम सिंह यादव से मुख्यमंत्री पद का बेहतर उम्मीदवार करार दिया है। खास बात यह है कि इन सर्वेक्षणों के दौरान सपा के आधार वोट बैंक ‘यादव’ और ‘मुसलमान’ का भी खास तौर पर ध्यान रखा गया है, जिसके बाद ऐसे नतीजे सामने आये हैं।
आपको बता दें कि न्यूज वेबसाइट हफिंग्टन पोस्ट के लिए सी वोटर द्वारा सितंबर और अक्टूबर महीने में सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में कुल 12,221 लोगों के बीच यह सर्वेक्षण कराया गया था।
इस एक्सक्लूसिव सर्वे के अनुसार पिता-पुत्र की लोकप्रियता की तुलना वाले सवाल में अखिलेश को अक्टूबर में 76 जबकि सितंबर में 67 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया। मुलायम को पिछले महीने 19 जबकि इस महीने मात्र 15 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया।
सर्वेक्षण में जब अखिलेश व शिवपाल के बीच की लोकप्रियता जांची गई, तो इस बार 83 फीसद लोगों ने अखिलेश का नाम लिया। पिछली बार 77 फीसद लोगों ने उन्हें पसंद किया था। शिवपाल का नाम पिछली बार 6.9 जबकि इस बार 6.1 फीसद लोगों ने चुना।
यदि उम्र की बात करें, तब भी मात्र युवाओं में ही नहीं, बुज़ुर्गों में भी अखिलेश ने अपनी धाक जमा ली है। सर्वे के अनुसार 55 साल से ज्यादा उम्र वाले 70 फीसद लोग अखिलेश ही को पसंद करते हैं। सर्वे में शामिल 68 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि अखिलेश यादव पार्टी को गुंडा छवि से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रकार समाजवादी पार्टी की अंदरूनी कलह ने देखते ही देखते अखिलेश को हीरो और बाकि सभी पार्टी दिग्गजों को जीरो साबित कर दिया है।