उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश ने ली मायावती की चुटकी, कहा, “नोटबंदी से सबसे ज्यादा परेशानी ‘बुआजी’ को”

अनुज हनुमत,

नई दिल्ली। नोट बंदी पर आज एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार को घेरा। अखिलेश ने कहा कि अब देश जान गया है कि नोटबंदी के लिए केंद्र सरकार की तैयारियां पूरी नहीं थीं। उन्होंने कहा कि परेशान करने वाली सरकारों को जनता हटा देती है।

सीएम अखिलेश ने मोदी के अलावा बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती पर भी निशाना साधा। चुटकी लेते हुए अखिलेश ने कहा, “सबसे ज्यादा तकलीफ तो बुआजी को हो रही है। ये दोनों बातें अखिलेश यादव ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास से मैत्री कार रैली को रवाना करने के बाद कहीं।

गौरतलब है कि दिल्ली से बैंकॉक तक की इस कार रैली के आयोजन में तीन देशों के 63 प्रतिभागी शामिल हैं और महत्वपूर्ण अवसर पर मुख्यमंत्री शामिल हुए। इस दौरान ने अपने विरोधियों पर जमकर निशाने भी साधे। उन्होंने आगे कहा कि देश में 1000 और 500 रुपये के नोट बंद होने के कारण लोगों को तो तकलीफ हो ही रही है और वो भी सबसे अधिक तकलीफ बुआजी (मायावती) को हो रही है। अखिलेश ने कहा कि बुआजी को हजार रुपये के नोटों की माला पहनने का बहुत शौक है और इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोट बंद करके बुआजी के शौक पर अंकुश लगाने का काम किया है। यह ठीक नहीं है। देश में पांच सौ और हजार रुपये का नोट बंद होने से लोगों को तकलीफ है। इसको लेकर उत्तर प्रदेश सरकार बेहद संजीदा है।

सीएम अखिलेश ने कहा है कि सरकार सक्रिय है और हम लोग ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कैश वैन भेजने की व्यवस्था में लगे हैं। इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि जो सरकार जनता को दुख देती है, जनता उसे हटा देती है। अब रुपया न मिलने के कारण जनता तो दुखी है। केंद्र सरकार ने कोई सूझबूझ से काम नहीं नहीं किया, जिसका परिणाम आज पूरी जनता को भुगतना पड़ रहा है।

मंगलवार रात अचानक फैसला आने वाली बात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विमुद्रीकरण के लिए पीएम और केंद्र सरकार की तैयारी पूरी नहीं थी। नोटबंदी से किसानों की परेशानी पर अखिलेश ने कहा कि केंद्र को किसानों की बुवाई की बड़ी चिंता है, मैं कहता हूं कम से कम किसान को तो छूट दे देते। अखिलेश ने कहा कि एक बार कई साल पहले भी ऐसा फैसला लिया गया था। उस समय जो तकलीफें जनता को हुई थीं, वही आज भी हो रही हैं। लोगों ने तब भी जानें दी थीं।

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