सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
रूस से एक अद्भुत मामला सामने आया है। यहां स्थित वोल्वोग्राड शहर में एक मां ने साल 2011 में एक बच्चे को जन्म दिया था उस दौरान यह बच्चा बहुत बीमार था। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चे का जिंदा रह पाना मुश्किल था। इसलिए उसको अस्पताल में ही छोड़ दिया जाना चाहिए। फिर माता-पिता उस बच्चे को छोड़कर चले गये। कुछ दिन बाद जब वे दंपति बच्चे का हाल लेने अस्पताल पहुंचे तो उनको बताया गया कि डॉक्टरों के लाख प्रयासों के बावजूद उसको बचाया नहीं जा सका। फिर दंपति बहुत दुखी हुए और सामान्य जिंदगी जीना शुरू कर दी।
फिर 7 साल बाद महिला को अपने एक पुराने बैंक अकाउंट की याद आई। पहुंचने पर पता चला कि उसके बैंक अकाउंट को बहुत पहले ही लॉक कर दिया गया है। पूछताछ के बाद उनको बताया गया कि यह उनका अनाथालय का बकाया बिल है। तब पहले तो उनकी कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन जब उनको बताया गया कि उनका बच्चा अनाथालय में पल रहा है। यह बिल उसी अनाथालय को भुगतान करना है तो यह सुनने के बाद वह बेहोश हो गईं। इस बीच महिला ने अपना मकान बदल लिया था, इसलिए अनाथालय उनके घर तक नहीं पहुंच पाया, लेकिन जिस अस्पताल ने उस बच्चे को अनाथालय में दिया था, उसने महिला के घर समेत बैंक डिटेल भी दी थी। इसलिए अनाथालय ने बिल की पेमेंट के लिए पुलिस और बैंक से संपर्क साधा।
मकान बदलने के कारण महिला को जब पुलिस नहीं खोज पाई तो मामला कोर्ट में गया। अदालत के आदेश पर उसके बैंक खाते को लॉक कर दिया गया। फिर जब उस दंपति को ये बात पता चली to वे तुरंत अनाथालय गये। मेडिकल जांच में इस बात की पुष्टि की गयी कि यही बच्चा उनका जैविक पुत्र है, फिर कानूनी कारवाई के बाद जज ने उनका बच्च उन्हें सौंप दिया। बच्चा मिलने के बाद उस दंपति ने अस्पताल पर केस कर दिया है कि उसने दंपति को बच्चे के बारे में गलत जानकारी क्यों दी? अनाथालय का बिल उनके नाम पर क्यों बनाया गया?