फिल्म समीक्षा- प्रेम रतन धन पायो

AmitDwivedi@Navpravah.com

2.5/5

फिल्म समीक्षा- प्रेम रतन धन पायो 

निर्माता- राजश्री प्रोडक्शन 

लेखक-निर्देशक- सूरज बडजात्या 

संगीतकार- हिमेश रेशमिया 

मुख्य कलाकार- सलमान खान, सोनम कपूर, अनुपम खेर, स्वरा भास्कर, नील नितिन मुकेश, अरमान कोहली. 

अब आप सलमान खान की फिल्म देखने जा रहे हैं और यह अपेक्षा कर रहे हैं कि आपको इस बार उनकी ओवर एक्टिंग देखने को नहीं मिलेगी तो आप खुद को बहला रहे हैं. भारतीय संस्कृति और सभ्य भाषा का प्रयोग फिल्म को खूबसूरत बनाता है. हालाँकि सूरज की तमाम फिल्मों की भांति इस फिल्म में भी पारिवारिक कलह नज़र आया है. सलमान, सोनम, स्वरा, दीपक, अरमान और विशेषकर अनुपम खेर ने निर्देशक का भरपूर सहयोग किया है और लगभग सभी किरदार, कहानी और पात्र के साथ न्याय करते नज़र आए. 

फिल्म की शुरुआत पूरी तरह से आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत है. कहानी, प्रेम दिलवाले की नाटक कंपनी की रामलीला से शुरू होती है, जो तमाम चुटीले डाइलॉग्स की वजह से दर्शको को जोड़ लेगी. उपहार फाउंडेशन नामक एनजीओ की संचालक दिल्ली की राजकुमारी मैथिलि (सोनम कपूर) प्रेम दिलवाले को बहुत भाती हैं, जिसकी एक बड़ी वजह यह है कि मैथिलि असहायों की निःस्वार्थ मदद करती हैं. इसी काम से प्रभावित होकर प्रेम अपनी नाटक कम्पनी का बड़ा हिस्सा इकट्ठा करके उपहार फाउंडेशन को देता है. रामभक्त प्रेम, अयोध्या स्थित उपहार फाउंडेशन के कार्यालय में सहयोग राशि देने जाता है और वहाँ की अधिकारी से मैथिलि से मिलवाने का आग्रह करता है. एनजीओ की अधिकारी बताती है कि कुछ ही दूर स्थित प्रीतमपुरा के युवराज के राजतिलक में मैथिलि आएगी, वहाँ आप की मुलाक़ात उनसे हो सकती है.

प्रेम तैयारी करनी शुरू करता है और अपने दोस्त कन्हैया (दीपक डोबरियाल) के साथ प्रीतमपुरा के पास निकल पड़ता है. वहाँ पहुँच कर प्रेम को पता चलता है कि अपने उसूलों का पक्का राजकुमार अपनों की वजह से ही बड़े मुसीबत में है और संयोग से प्रेम, राजकुमार विजय सिंह का हमशक्ल है. विजय सिंह का चचेरा छोटा भाई अजय (नील नितिन मुकेश) अपने सहयोगियों की मदद से राजपाठ पर अपना अधिकार कायम करना चाहता है. मौक़ा देखकर वह विजय सिंह को मारने की पूरी योजना बना लेता है, लेकिन घटनास्थल पर दीवान साहब यानी अनुपम खेर पहुँच जाते हैं और युवराज की जान बच जाती है. हमशक्ल होने की वजह से दीवान साहब प्रेम का सहयोग लेते हैं. और प्रेम अपने अनोखे अंदाज़ से राज घराने की तमाम परेशानियों से जूझता है. और फिल्म के एंड में अधिकतर फिल्मों की तरह ही इसकी भी हैप्पी एंडिंग ही होती है. कहानी के कई मोड़ ऐसे हैं जो काफी रोचक हैं, जिसका मज़ा लेने के लिए आपको थिएटर का रुख करना होगा.

फिल्म की कहानी में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए आप ‘वाह’ कह बैठें और स्क्रीनप्ले का भी हाल कुछ ऐसा ही ही. इंटरवल के पहले फिल्म बेहद स्लो और पकाऊ है लेकिन उतनी ही रफ़्तार से इंटरवल के बाद आगे भी बढ़ती है. अगर आप पारिवारिक और भावुक हैं तो कुछ सीन आपकी आँखें नम भी कर सकती हैं.

फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक हिमेश रेशमिया के 10 गाने हैं, जो आपको काफी बोर कर सकती हैं. लगभग हर 7 सीन के बाद गाना शुरू हो जाता है. एडिटिंग और भी उम्दा होती तो फिल्म में कसाव आ सकता था.

क्यों देखें- अगर आप परिवार के साथ फिल्म देखना चाहते हैं तो ज़रूर जाएं. अश्लीलता से कोसों दूर यह फिल्म आपके रिश्तों को मज़बूती भी दे सकता है.

क्यों न देखें- अगर आप मसाला फिल्मों के शौक़ीन हैं, फाइट सीन और फैंटेसी के दीवाने हैं तो आप ज़रूर इस फिल्म से डिसअप्वाइंट हो सकते हैं.

 

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