KavitaShrivastava@Navpravah.com
बाज़ार ऊँचे-ऊंचे हैं रौशनी नहाये ,
दियों की जगह बिजली की माला जगमगाये
मिटटी के वो गजानन चांदी में बन के आये।
हाथोँ में सबके थैली महंगे पटाखों वाली,
पूछा है कभी खुद से क्या यही है दिवाली
कहने को है दिवाली पर दिल है खाली खाली
ऐसे में याद आती है गाँव की दिवाली।।
साइकिल पे कोई चढ़ के, कोई जाए कोसों चल के
किसी ने पहने जूते , कोई चप्पलों से खाली,
कोई फुलझड़ी खरीदे, कोई घिन्नी चक्कर वाली
लो याद आ गयी फिर वो गाँव की दिवाली।।
लगते थे खूब मेले और चिज्जियों के ठेले
लक्ष्मी -गणेश के संग सजे वस्त्र लाल पीले,
मिटटी के भाव मिलती थीं मिटटी की दियाली
अब याद आ रही है वो गाँव की दिवाली।।
माँ की कलाई जकड़े , एक लड़की ज़िद्द पकड़े
अम्मा हमें पिन्हा दो वो फ्रॉक नई वाली
अब याद आ रही है वो गाँव की दीवाली।।
रंग रोगनो से चमका के हजार का कोना कोना
हाँ याद है वो तोरण का द्वार पे पिरोना,
सब मिलके लीपते थे दीवार ऊंची वाली
याद आ रही है वो गाँव की दीवाली।।
न रौशनी की ज़ात, न दिए का कोई मज़हब
ईद जैसी ही दिवाली मनाते थे मिलके हम सब
कोई भी घर न होता था रौशनी से खाली
मिल कर सभी मानते थे गाँव में दिवाली।।
गुरबक्श संग मैकू, डेविड भी साथ दौड़े
जुम्मन बताओ तुमने कितने पटाखे फोड़े,
दियों की जगमगाहट पटाखों के वो दंगे
आकाश चूमते से अनार रंग-बिरंगे।
इस घर से जाती उस घर मिठाइयों की थाली
हाय याद आ रही है वो गाँव की दिवाली।।
छत, चौबारे, आँगन, मुंडेर टूटी वाली
दिए की रौशनी में लगती भाग्यशाली
थे छोटे-छोटे दीपक पर ऐसे जगमगाते
पूनम सी थी चमकती अमावस की रात काली
हो दिल न कोई खाली हर दिल में हो दिवाली,
आओ मनाएं यूं ही इस बार की दिवाली
के लौट आये फिर से वो गाँव की दिवाली।।
Very Happy Diwali Amit Bhai.
Missing Gav wali Ghislan Diwali; (11 Nov.2013)