इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
भोपाल सेन्ट्रल जेल से सिपाही की हत्या कर फरार हुए प्रतिबंधित संगठन सिमी के सभी 8 आतंकी भोपाल के बाहर ईंटखेड़ी गांव में मुठभेड़ में मारे गए। मुठभेड़ में मारे गए इन आतंकियों के नाम हैं- मेहबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अमजद, जाकिर हुसैन सिद्दीक, मोहम्मद सालिक, मुजीब शेख, अकील और माजिद। प्रदेश सरकार ने प्रत्येक फरार SIMI आतंकी की गिरफ्तारी पर 5 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा कर दी थी।
ये सभी आठों आतंकी आज तड़के करीब 2 से 3 बजे के बीच एक सिपाही की स्टील के प्लेट से गला काटकर हत्या करने के बाद जेल से फरार हो गए थे। भोपाल के डीआईजी रमन सिंह ने बताया, ‘SIMI के 8 आतंकी तड़के करीब 2 से 3 बजे के बीच एक सुरक्षा गार्ड की हत्या करने के बाद जेल से फरार हो गए।’ उन्होंने कहा कि ‘द स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ के आतंकियों ने एक सुरक्षा गार्ड की हत्या कर दी और उसके बाद वे चादरों की सहायता से जेल की दीवार लांघ कर वहाँ से फरार हो गए।
गौरतलब है कि पिछले तीन साल में SIMI के कार्यकर्ताओं की जेल तोड़ने की यह दूसरी घटना है। इसके पूर्व वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश के खंडवा में एक जेल से सिमी के सात सदस्य भाग निकले थे। एक अक्टूबर 2013 को सिमी के 7 सदस्य मध्यप्रदेश के खंडवा में स्थित जिला जेल से 14 फुट उंची दीवार फांद कर भाग गए थे। इनमें से एक कैदी ने अगले दिन आत्मसमर्पण कर दिया था और एक अन्य कैदी को मध्यप्रदेश के बड़वानी से दिसंबर 2013 में पकड़ा गया था। तीसरा कैदी पांच अप्रैल 2015 को तेलंगाना पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में मारा गया था। 4 कैदियों की पुलिस लगातार 3 साल तक तलाश करती रही और फरवरी 2016 में इन्हें ओडिशा के राउरकेला से गिरफ्तार किया गया। जब चारों कैदी फरार थे, तब वह लोग मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में आतंकवादी गतिविधियों में कथित तौर पर लिप्त थे।
सूत्रों की माने तो मारे गए ये आतंकी तेलंगाना के करीमनगर स्थित एक बैंक में लूटपाट के एक मामले में और एक फरवरी 2014 को चेन्नई सेंट्रल स्टेशन पर बेंगलूरु-गुवाहाटी ट्रेन में हुए विस्फोट में भी लिप्त थे। इस विस्फोट में एक युवा सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मौत हो गई थी। एक मई 2014 को पुणे के फर्शखाना पुलिस थाने में और 10 जुलाई 2014 को विश्रामबाग पुलिस थाने के समीप हुए विस्फोट में भी इन्हीं आतंकियों का हाथ होने की आशंका है। यह भी कहा जाता है कि यह लोग उत्तराखंड के रूड़की और उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हुई बम विस्फोट की घटनाओं में भी कथित तौर पर लिप्त थे।