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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ बनाए गए सेक्स सम्बन्ध चाहे वो उस लड़की की सहमति से ही क्यों ही न बनाये गए हों बलात्कार की श्रेणी में आयेंगे। अक्सर दुष्कर्म का आरोपी सहमति की दलील देता है, लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों को सहमति पूर्वक बनाए जाने वाले सम्बन्धों की कतार से बाहर माना है, जिसमे लड़की की उम्र सोलह वर्ष से कम की हो।
हाईकोर्ट जस्टिस अनीता चौधरी ने कहा, ‘एक नाबालिग लड़की को झांसा और लालच देकर शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी किया जा सकता है। 16 साल से कम उम्र की लड़की बिना इसका नतीजा समझे संबंधों की सहमति भी दे सकती है। इसलिए तथाकथित सहमति के नाम पर हम किसी को इसका नाजायज फायदा नहीं उठाने दे सकते।
कोर्ट ने ये ये बात गुडगाँव के एक मामले की सुनवाई के दौरान कहीं। इस मामले में आरोपी का कथन था कि उसने आपसी सहमति से ही पीड़िता के साथ सहवास किया था, जिस कारण वो सजा का पात्र नहीं है। 22 जनवरी 2010 को पीड़िता का अपहरण किया था। अपहरण के वक़्त लड़की महज़ 15 वर्ष आयु की ही थी।
लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी, लेकिन उस वक़्त उन्हें ये नहीं पता था की बच्ची के साथ दुष्कर्म किसने किया है। बच्ची ने बाद में बताया कि आरोपी उनके घर में कार्यरत मिस्त्री है, वो शादी शुदा है और उसके दो बच्चे भी हैं। गुडगाँव की जिला अदालत ने आरोपी को अपहरण और दुष्कर्म के लिए 10 वर्ष की सजा दी थी, जिसके ख़िलाफ़ दोषी द्वारा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर की गई।