मौसम की आंख-मिचोली से बेहाल मुंबईकर!

ShikhaPandey@Navpravah.com
नवम्बर महीने में भी तापमान के उतार चढ़ाव ने मंबईकरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. सरकारी अस्पतालों से मिली जानकारी के मुताबिक़ अक्टूबर महीने में मौसमी बीमारी के चलते १३ हज़ार से भी अधिक मरीज भर्ती हुए हैं. दिन में तेज़ गर्मी और रात में हल्की ठंडी की वजह से आम जमानस में बीमारी तेज़ी से फ़ैल रही है. ठंडी हल्की होती है जिसकी वजह से लोग ज्यादा ख़याल नहीं रखते. इस लापरवाही के चलते मुंबई में भारी संख्या में लोग बीमार हो रहे हैं. मौसम की आँख मिचोली के चलते मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.
मनपा हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक़ अक्टूबर महीने में अस्पतालों में लगभग १३२२७ मरीज बरसाती बीमारियों के चपेट
में आकर मनपा और राज्य सरकार के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती  हुए. प्राप्त जानकारी के मुताबिक इनमे सबसे अधिक संख्या बुखार और गैस्ट्रो के मरीजों की थी. सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भारी संख्या की वजह से मरीजों भय का माहौल बंता नज़र आ रहा है.
बारिश की शुरुआत में ही मनपा ने बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए तमाम उपाय किया लेकिन इसके बावजूद बदलते मौसम के चलते पिछले एक महीने में १३२२७ मरीज विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हुए.

अक्टूबर माह में विभिन्न बीमारियों की वजह भर्ती मरीजों का आंकड़ा-
सामान्य बुखार – ११०८१ ,
मलेरिया – ८६०  ,
लेप्टो – १६ ,
डेंग्यू – २११,
एच१एन१ – २७,
गैस्ट्रो – ७६५,
टायफाईड – १६०
हेपेटाइटिस – १०६ और कॉलरा का एक मरीज शामिल है.

लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए मनपा ने मरीजों आवाहन किया है कि यदि लोग बदन दर्द, सिर दर्द, बुखार जैसी समस्याओं से गुजरे तो इसे आम न समझकर यथाशीघ्र अस्पतालों में जाकर इसका इलाज कराए. मनपा के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि लोग हमेशा खुद से इलाज करने के कारण अस्पताल आने में देरी कर देते हैं, जिसके बाद उन्हें कभी-कभी अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है.
कुछदिन से मौसम में बदलाव आने और दिन में गर्मी रात में ठंडी होने से वायरल फीवर के मरीज बढे हैं. जहाँ एकदिन में बुखार के २० मरीज आते थे वो अब बढ़कर दोगुना हो गए हैं,जिससे लोगों को सतर्क होने की जरुरत है.

-डॉक्टर रेनू सिंह

(जनरल फिजिशियन )
मौसम में उतार चढ़ाव से लोगों को सर्दी, खांसी, बुखार, यूरिन समस्या बढ़ेगी और मरीज को डायरिया, फ़ूड पॉइज़निंग जैसी शिकयते होंगी. इन्हें बिल्कुल भी हल्के में न लें और चिकित्सक की परामर्श लेते रहे.

डॉक्टर ओम श्रीवास्तव

(संक्रमण विशेषज्ञ-जसलोक अस्पताल)

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