‘काशीबाई’ के दर्द को भी महसूस करेंगे दर्शक -प्रियंका चोपड़ा

AmitDwivedi@Navpravah.com 

संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में प्रियंका चोपड़ा काशीबाई की सशक्त भूमिका में नज़र आएंगी। सह कलाकार दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह के साथ प्रियंका इस फ़िल्म में एक अलग अंदाज़ में ही नज़र आ रही हैं। प्रियंका कहती हैं कि दर्शकों को यह फिल्म ज़रूर भाएगी। भंसाली प्रोडक्शन व इरोज़ इंटरनेशनल द्वारा निर्देशित फ़िल्म बाजीराव मस्तानी सिनेमाघरों में 18 दिसम्बर 2015 को रिलीज़ होने जा रही है। नवप्रवाह.कॉम के साथ एक खास बात चीत में प्रियंका ने इस फ़िल्म व अपने अमेरिकी टीवी शो ‘क्वांटिको’ के बारे में कई दिलचस्प बातें साझा कीं। प्रस्तुत हैं कुछ खास बातें-

 

प्रश्न: संजय लीला भंसाली के साथ काम कर के आपको कैसा लगा?

प्रियंका: मैं संजय सर की बहुत बड़ी फैन (मुरीद) हूँ। मेरा मानना है कि यदि आप सही मायने में संजय लीला भंसाली का चरित्र चित्रित करेंगे, तो वह आपकी एक अमूल्य धरोहर होगी। राम लीला में एक गीत करने के बाद मैंने मेरीकॉम में काम किया, जिस फ़िल्म में वे निर्देशक तो नहीं थे पर निर्माता के रूप में फ़िल्म से गहराई से जुड़े थे। उनके साथ फिर काम करना एक बेहतरीन अनुभव था।

प्रश्न: दोबारा एक मराठी लड़की का किरदार निभाकर आपको कैसा लगा?

प्रियंका: काशीबाई का किरदार मेरे द्वारा निभाए अन्य किरदारों से बिलकुल अलग है। मैंने यह किरदार निभाने की हामी इसलिए भरी क्योंकि इतिहास ने इस किरदार को कभी बयाँ नहीं किया है। हालांकि हमारे पास बाजीराव और मस्तानी से जुड़ी कई जानकारियाँ हैं, काशीबाई के विषय में बहुत कम उल्लेख मिलता है। वह बहुत खास और अति संवेदनशील किरदार है। यह किरदार 500 वर्ष पुराना है और आप महसूस कर सकेंगे कि एक नारी के रूप में किस तरह से उसका दिल दुखा है।

प्रश्न: दीपिका के साथ अपने ताल मेल के विषय में कुछ बताइये।

प्रियंका: दीपिका और मैं एक दूसरे के साथ बहुत सहज हैं और हम दोनों जब भी मिलते हैं तब बहुत मज़ा करते हैं। कलाकारों के पास बहुत ज़्यादा समय नहीं होता लेकिन मैं अपनी महिला सह कलाकारों के साथ बहुत अच्छा ताल मेल बिठाती हूँ। मैं अपने पेशे से बहुत संतुष्ट हूँ और हमेशा अपने काम को और ज़्यादा बेहतर बनाना चाहती हूँ। अगर मैं अपने पेशे से संतुष्ट नहीं हूँ, तो मेरा भविष्य असुरक्षित है। इस फ़िल्म में दीपिका और मैं केवल 2 दृश्यों और एक गाने में साथ हैं क्योंकि मस्तानी और काशीबाई को हमेशा दूर रखा गया था मगर दोनों की कहानियाँ जुड़ी हुई थीं।

प्रश्न: इस क्षेत्र में आप एक सेल्फ मेड महिला हैं ,क्या आपको लगता है कि आपकी यात्रा बहुत कठिन रही है?

प्रियंका: मेरा मानना है कि आग में तपकर मिली हुई चमक ही नारी की असली शक्ति है और आप ‘कठिन’ कह कह कर अपने जीवन को और ज़्यादा कठिन बनाते हैं। इसीलिए मेरे लिए यह सफ़र बिलकुल कठिन नहीं था।

प्रश्न: पिंगा गीत के विषय में हमें कुछ बताइये।

प्रियंका: दीपिका से बेहतर कोई सह कलाकार हो ही नहीं सकता था इस गीत के लिए। हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत प्रोत्साहित किया। इस गीत को कई हिस्सों में शूट किया गया और संजय सर लंबे शॉट्स लेते थे। हम लोगों को अंतरा और मुखड़ा अलग अलग फिल्माना था जो शारीरिक रूप से बहुत थकाने वाला था। हम लोगों के पैरों में कुछ जख्म भी हुए क्योंकि कोरियोग्राफी बहुत कठिन थी।

प्रश्न: यू एस (अमेरिका) में, खासकर आपके शो क्वांटिको की टीम की ओर से इस फ़िल्म को कैसी प्रतिक्रिया मिली?

प्रियंका: वे सभी बहुत उत्सुक हैं। साथ ही मुझे उन लोगों को समझाना पड़ता है कि यह एक पीरियड (प्राचीन कालावधि) की फ़िल्म है। वे लोग पूछते हैं कि क्या भारतीय लोग अब भी वैसे ही कपडे पहनते हैं, जैसा फिल्म में दिखाया गया है? और मैं कहती हूँ “नहीं”।

प्रश्न: कई लोगों का कहना है कि पिंगा गीत फ़िल्म में सही तरह से चित्रित नहीं किया गया है। इस विषय में आपका क्या कहना है?

प्रियंका: पहली बात, पिंगा एक लावणी गीत नहीं है। यह एक लोकगीत है। जीवनी पर आधारित हर फ़िल्म में कहानी का कुछ हिस्सा नाटकीय होता है। यह फ़िल्म “राव” नामक एक किताब पर आधारित है, जिसका उल्लेख निर्माताओं द्वारा साफ़ तौर पर किया गया है। दूसरी बात यह कि ये संजय लीला भंसाली द्वारा निर्देशित फ़िल्म है, इसलिए आपको खुद जा कर देखना चाहिए, उसका अनादर क्यों? यह एक प्रेम कहानी है जो समाज द्वारा वर्जित थी।

प्रश्न: भारत में काम करने और विदेश में अपने शो ‘क्वांटिको’ में काम करने में आप क्या अंतर महसूस करती हैं?

प्रियंका: दोनों जगहों पर काम करने में मात्र एक अंतर यही है कि यहाँ भारत में हम एक सीन 2 दिनों में शूट करते हैं जबकि वे लोग 10 सीन्स एक दिन में । इसके अतिरिक्त भाषा का भी अंतर है। यहाँ हम हिंदी बोलते हैं और वहां वे लोग फ्रेंच में बातें करते हैं।”

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